अखिल भारतीय ओबीसी महासभा द्वारा राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन, संवाद न्यूज एमडी कमलेश कुमार की रिपोर्ट

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रीवा-अखिल भारतीय ओबीसी महासभा द्वारा ओबीसी समाज की जनगणना कराए जाने के संबंध में संपूर्ण भारत के सभी जिलों और तहसीलों
से दिया जाने वाला ज्ञापन रीवा जिले में भी सौंपा ज्ञापन जिसमे
प्रधानमंत्री,गृहमंत्री एवं मुख्य सचिव भारत सरकार के नाम सौंपा ज्ञापन में जनगणना 2021 के कार्यक्रम मे ओबीसी के गणना का कॉलम जनगणना प्रश्नावली मे अंतर्भूत करने एवं जब तक ओबीसी के गणना का कॉलम 2021 के जनगणना प्रश्नावली मे अंतर्भूत नही किया जाता तब तक सरकार द्वारा जनगणना 2021 के कार्यक्रम को स्थगित किए जाने के संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा जाहिर किये गये कार्यक्रम के तरफ आकर्षित करने के संदर्भ मे अगस्त और सितंबर 2019 को जणगणना प्रिटेस्ट भी हुई है लेकीन इस प्रिटेस्ट के नमुना प्रश्नावली के 13 नंबर कॉलम मे ओबीसी (सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछडा वर्ग) का उल्लेख नही हैl
संख्या मे ज्यादा होने वाले ओबीसी समूह की गणना बहुत सालो से सरकार द्वारा नही की जा रही हैl देश में 1931 की जनगणना में आखिरी बार एकत्रित किए गए जातिगत आंकड़ों के आधार पर 52 प्रतिशत ओबीसी थे और इसी के आधार पर तैयार की गई मंडल आयोग की 27 प्रतिशत ओबीसी को आरक्षण की सिफारिस के तहत तत्कालीन वी.पी.सिंह सरकार ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी। आनेवाली 16 वी जनगणना 2021 का कार्यक्रम सरकार द्वारा जाहीर हुआ है और और इस संदर्भ मे अगस्त और सितंबर 2019 को जणगणना प्रिटेस्ट भी हुई है लेकिन इस प्रिटेस्ट के नमुना प्रश्नावली के 13 नंबर कॉलम मे ओबीसी (सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछडा वर्ग ) का उल्लेख नही है। हालाकी संविधान के अनुच्छेद १५ (४), अनुच्छेद १५ (५), अनुच्छेद १६ (४) के तहत सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे वर्ग को विशेष योजनाए /सहुलियत का प्रावधान है, अनुच्छेद २४३ (घ)(६) एवं अनुच्छेद २४३ (न)(६) को प्रभावी तरिके से लागू कराने हेतु और संविधान के कलम 340 के तहत पिछडे वर्ग के सामाजिक एवं शैक्षणिक स्तर के अभ्यास एवं अभ्यास के आधार पर इस प्रवर्ग के लिये योजना के नियोजन के लिये आयोग का उल्लेख होने के कारण ओबीसी प्रवर्ग की जनगणना केंद्र सरकार द्वारा होनी चाहिये l
जनगणना कानून 1948 के उदेशानुसार देश के राज्य निहाय जनसंख्या की जानकारी लेना तथा वर्ग, जाती उपजाती और अन्य जानकारी सरकार द्वारा जमा की जाती है और इस जानकारी के आधार पर सरकारी नीतिया एवं नियोजन किया जाता है, लेकिन ओबीसी समाज के संविधानिक अधिकार के तहत अगर सरकार द्वारा इस घटक की जनगणना नही की जा रही है और उनकी आज कि स्थिति मे संख्या ही उपलब्ध नही है, तो किस आधार पर सरकार ओबीसी के बारे मे नियोजन कर रही है यह प्रश्न उपस्थित होता है। इसी प्रश्न को लेकर और बार बार ओबीसी गणना कि मांग को केंद्र सरकार द्वारा पुरा न किये जाने के वजह से भारत देश के अन्य राज्यों जैसे ही महाराष्ट्र सरकार द्वारा भी ओबीसी जनगणना का प्रस्ताव (8 जनवरी 2020) केंद्र सरकार को भेजा गया था, उस पर भी कोई ठोस भूमिका सरकार द्वारा नही ली गयी l अत: भारतीय संविधान को अपेक्षित पूरे भारत देश मे ओबीसी प्रवर्ग कि जनगणना सरकार द्वारा नही किये जाने पर तीव्र आंदोलन किये जा रहे है, ओबीसी समूह द्वारा महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सहित सभी राज्यों मे “पाटी लगाओ अभियान” ओबीसी कि जनगणना करो, ‘जनगणना 2021 मे ओबीसी कॉलम नही , इसिलिये हमारा सहभाग नही’ ऐसी पाटिया (बोर्ड) घरो पर लगाकर जनगणना 2021 मे ओबीसी समूह द्वारा जागृती/ असहयोग आंदोलन की शुरुवात हुई है । यह जागृती/असहयोग आंदोलन बार बार ओबीसी प्रवर्ग के गणना की मांग को सरकार द्वारा नजर अंदाज करने की वजह से एवं ओबीसी समुह की गणना के प्रति केंद्र सरकार द्वारा भारतीय संविधान के अन्तर्गत जबाबदारी नकारे जाने के कारण ओबीसी प्रवर्ग को असहयोग आंदोलन करना पड रहा है, यह शांतिपूर्वक असहयोग आंदोलन है , इसलिये जागृती /असहयोग आंदोलन करने वाले किसी भी ओबीसी व्यक्ति पर कोई भी कानुन के अन्तर्गत कारवाई न की जाये, यह आपसे नम्र विनती है l कि जब तक ओबीसी के गणना का कॉलम जनगणना प्रश्नावली मे अंतर्भूत नही किया जाता तब तक सरकार द्वारा जनगणना 2021 के कार्यक्रम को स्थगित किया जाए तथा 2021 की जनगणना के प्रश्नावली मे ओबीसी कॉलम अंतर्भूत कर ओबीसी के संवैधानिक अधिकारो की रक्षा करे ।
ज्ञापन सौंपने में नीलू रावत राष्ट्रीय सचिव ,ओबीसी दिनेश सिंह प्रदेश अध्यक्ष युवा , कमलेश कुमार प्रदेश उपाध्यक्ष युवा, ओबीसी शंकर विधानसभा अध्यक्ष मऊगंज, श्यामलाल पटेल, विकास पटेल, हनुमान सेन , विवेक कुमार , नीलू सिंह, कोमल सिंह सहित अन्य लोग मौजूद रहे ।

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