सिंगरौली। कोल इंडिया में कमर्शियल माइनिंग निजीकरण के विरोध में संयुक्त मोर्चा द्वारा घोषित तीन दिवसीय हड़ताल के पहले दिन एनसीएल में उत्पादन, उत्खनन एवं कोल डिस्पैच पूरी तरह से ठप्प रहा । एनसीएल के प्रथम पाली एवं जनरल शिफ्ट में मजदूरों की उपस्थिति नगण्य रही। वही एनसीएल के केंद्रीय चिकित्सालय सिंगरौली एवं नेहरू शताब्दी चिकित्सालय जयंत के साथ ही अन्य परियोजनाओं के डिस्पेंसरी में डॉक्टरों एमआर को छोड़ कर बाकी कर्मचारी अनुपस्थित रहे। जिससे सामान्य मरीजों को उपचार नहीं होने से इधर-उधर भटकते रहे। कई लोगों को प्राइवेट अस्पतालों या झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ा । ट्रेड यूनियनों के नेताओं द्वारा 18 जून को हड़ताल की नोटिस दिया गया था जिसमें कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी एवं कोयला सचिव के साथ हुई वार्ता विफल रही। जिससे मजदूर अपने तीन दिवसीय प्रस्तावित हड़ताल के लिये मजबूर हो गये। 2 जुलाई को कोयला उत्खनन एवं उत्पादन को प्रभावित करते हुए कोल्ड इस पेज को पूरी तरह से ठप्प रखा। हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता 15 दिन से सभी कार्य स्थलों पर नारेबाजी कर एवं बाइक रैली निकालकर श्रमिकों को जागरूक कर रहे थे जिसका असर हड़ताल के पहले दिन देखने को मिला ।
केन्द्र सरकार के विरोध में नारेबाजी
एनसीएल के संयुक्त मोर्चा द्वारा सुबह 5:00 बजे ही से चलने वाली शिफ्ट बस को रोक दिया गया । जिससे कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं जा सके। वही मुख्य गेट एवं टाइम ऑफिस के साथ ही सभी कार्य स्थलों पर सुबह से श्रमिक नेता एकत्रित होकर कर्मचारियों को ड्यूटी पर जाने से रोकते रहे , तथा उन्हें अपने साथ लेकर सरकार के विरोध में नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन करते रहे । एनसीएल मुख्यालय गेट पर सुबह 8:30 बजे से ही संयुक्त मोर्चा द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था जिससे कोई कर्मचारी कार्यालय के अंदर मुख्य गेटों से नहीं जा सका। झिंगुरदा परियोजना में श्रमिक कर्मचारियों की उपस्थिति नगण्य के बराबर रही। झिंगुरदा परियोजना में पानी सप्लाई ठप होने से कई लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है।


