पन्ना।जिला अस्पताल वैसे भी आए दिन सुर्खियों में बना रहता है तभी जिला अस्पताल के गेट पर डिलीवरी हो जाती है तो कभी जिला अस्पताल के अंदर पानी भर जाता है तो फिर कभी जो मरीजों को डाइट खाना दिया जाता है उसमें अनियमितताएं मिलती है
और तो और हंसने वाली बात यह है कि सरमन नाम का मरीज 8 वर्ष से जिला अस्पताल में इलाज के लिए पड़ा हुआ है और आज दिनांक तक उसको आराम नहीं मिला अभी भी जिला अस्पताल में एक कोने में लेता रहता है कह सकते हैं कि उसने अस्पताल को ही अपना घर बना लिया है और तो और नसबंदी करवाने वाले लोगों के ऑपरेशन भी फेल हो जाते हैं
इन सभी शिकायतों और अनियमितताओं को लेकर अगर नई बिल्डिंग जिसे ट्रामा सेंटर कहते हैं इसकी बात की जाए तो ठेकेदार द्वारा बिल्डिंग का निर्माण तो हो गया मगर उसने जो व्यवस्थाएं होती हैं जिला अस्पताल में वह व्यवस्थाएं पूरी तरह से नहीं है जब से ट्रामा सेंटर बना है तब से आज दिनांक तक वहां पर पेयजल संकट की समस्या जब ट्रामा सेंटर नहीं था तब भी थी और अभी भी बनी हुई है जो आरोप लगा हुआ है एसएनसीयू के पास वह भी बिगड़ा हुआ है
क्या सकते हैं अस्पताल के अंदर आरोपी व्यवस्था नहीं है नई बिल्डिंग में तो है ही नहीं गर्मियों में लोगों को पानी की समस्या को लेकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है यहां तक कि पीने के पानी को लोग बाहर खुली होटलों से पैसा देकर खरीद कर खुद और अपने मरीजों को पानी पिलाते हैं और खुद पीते हैं और अपनी प्यास को बुझाते हैं जबकि अगर बजट की बात की जाए तो स्वास्थ्य प्रबंधन के पास पर्याप्त बजट भी रहता है इस नए ट्रामा सेंटर का उद्घाटन जब किया गया था जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और इस ट्रामा सेंटर का उद्घाटन कांग्रेस के शिक्षा मंत्री श्री प्रभु राम चौधरी ने डॉक्टर एनके तिवारी और भी वरिष्ठ नेता प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस बिल्डिंग का उद्घाटन किया गया
शिकायतों की बात करें तो इतनी शिकायतें हैं कि कह नहीं सकते इतनी अनियमितताएं हैं की दिखाओ और बता नहीं सकते अगर शौचालय की बात की जाए तो कभी पानी नहीं तो कभी लैट्रिन की सफाई नहीं गंदगी पड़ी हुई है अभी वर्तमान में पूरे देश में कोरोनावायरस के कहर से देश की अर्थव्यवस्था से लेकर बच्चों की शिक्षा तक पर इसका फर्क पड़ा है जहां एक तरफ सभी फैक्ट्रियां उद्योग रेल बाजार स्कूल और बसें 4 महीने से नहीं चल रही हैं और कोरोनावायरस के कारण जिन मजदूरों ने जिले से पलायन कर लिया था बॉय भी हजारों की तादात में अब जिले में आ चुके हैं और अपने अपने घरों में हैं जैसा की लापरवाही और अनियमितताएं और अव्यवस्था की बात करें तो पूरे जिला अस्पताल में एक या दो जगह को छोड़कर कहीं पर भी आरो वाटर प्लांट नहीं लगाया गया है और ना ही ट्रामा सेंटर में जहां पर रोज मरीज आते और जाते हैं इसी अस्पताल में कोरोना से संक्रमित मरीज भी अभी हाल ही में भर्ती हैं इस संकट काल में भी स्वास्थ्य प्रबंधन की आंखों पर पट्टी बंधी हुई है और जनता मरीज और उनके परिजन हमेशा की तरह पानी को लेकर परेशान हो रहे हैं
अगर देखा जाए तो एक दिन मैं इस समय लगभग 200 से 300 मरीज रोज अपना इलाज कराने डॉक्टर को दिखाने आते हैं और जो मरीज भर्ती हैं उनकी संख्या भी लगभग डेढ़ सौ दो सौ होगी अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पानी ना होने से कितनी समस्या मरीजों और आने जाने वालों को हो रही है मरीजों का कहना है कि जब हम सुबह शौच क्रिया को जाते हैं तब हम लोग अस्पताल के बाहर फील्ड पर शौच क्रिया को जाते हैं क्योंकि नाही लैट्रिन साफ रहती है और ना ही उसमें पानी हम लोग पूछते लोगों से क्योंकि बाहर से आए हुए हैं भटकते भटकते हैंडपंप से पानी लेकर शौच क्रिया को मैदान में जाते हैं और वहीं दूसरी ओर अगर पीने के पानी की बात की जाए तो बिल्डिंग में पानी की व्यवस्था नहीं है नाही आरो प्लांट कहीं पर लगाया गया है हम लोगों को पानी को लेकर काफी मुसीबतों और दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ऊपर से करो ना कॉल का समय अलग चल रहा है इसीलिए इस ट्रामा सेंटर को ट्रामा सेंटर ना कहकर ड्रामा सेंटर कह सकते हैं आखिर कब निजात मिलेगा मरीजों और उनके परिजनों को पेयजल संकट से कौन इस संकट को दूर कव करेगा।