थांदला – चातुर्मास लगते ही सभी साधु सतिया जी समाज को जीनवाणी का प्रवचन देकर धार्मिक किर्याए करने का जीवन में मोक्ष मार्ग का रास्ता दिखाने का आत्म उधार का मार्ग दिखाते हे आत्म विकास के दो रास्ते पहला तिर्थ दुसरा पयुषण पर्व तिर्थ जाने से प्रभु के दर्शन होते है ओर प्रवचन सुनने से शक्ति भक्ति व आत्मा का विकास होकर मुक्ति का मार्ग आसानी से पाया जाता है
अभी अप्रैल से अगस्त तक आते आते कोरोना वायरस के कारण ज्यादा संक्रमीत मरीज अस्पतालो की जांच में आ रहे हे जीस वजह से इस साल पर्रवाधिराज पयुषण में मंदिरों में पूजा-अर्चना पुजारी व कुछ व्यवस्था देखने वाले ही कर रहे हे शौसल डिस्टेंस के साथ मंदिर के बहार से सिमीत संख्या मे इक्का दुक्का लोग दर्शन करने आ रहे हे सभी श्रद्धालु सामयिक प्रतिक्रमण अपने घरों में कर रहे हे भगवान की आंगी शाम को हो रही हे जीसके दर्शन दर्शनार्थियों को व्हाट्सएप जैन समाज ग्रुप पर हो रहे वेसे आज़ इस पर्व का पांचवां दिन19.8.20 को भगवान का जन्म उत्सव मनाया जीसमे आरती की बोली बड़े मंदिर प्रफुल्ल पोरवाल परिवार ने व मंगल दीपक आरती उमेश राजमल पीचा ने व राजेनद्र गुरुदेव आरती मयूर वर्धमान तलेरा परिवार ने ली छोटे मंदिर कमलेश बाबू लाल छाजेड़ परिवार ने आरती व दीपक बोली ली जीस में सीर्फ परिवार के लोग शामिल हुए
कल्प सूत्र का वाचन पांच दिन के चालू हुआ केवल एक श्रावक कर रहे है सभी शाम को प्रतिक्रमण घरों में श्रद्धालु करते हे शाम को परमात्मा की आंगी सजाई जाती हे जीसकी बोली आनलाईन होती है अन्य बोली भी आनलाइन हो रही श्रद्धालु ले रहे हे अपने घरों से वेसे चार्तुमास 42 वे पर्व शुरू हो 47 वे दीन लगभग परमात्मा का जन्म उत्सव होता है व 50 वे दीन सवंतसरी बड़ा प्रतिक्रमण किया जाता है यह सभी काम सिमीत संख्या मे व ज़्यादातर श्रद्धालु घर पर करेगे जीसके बाद वर्ष भर मे हुई गलतीयो की प्राणी मात्र से क्षमा मांगी जाती हे