फूलमाल के आदिवासी परिवारों का स्थायी पुनर्वास करे सरकार- डा.सुनीलम,थादला(झाबुआ)से मनीष वाघेला के साथ माणक लाल जैन की रिपोर्ट

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सी.ए.ए निरस्त करने के कैबिनेट के संकल्प का समाजवादी समागम ने किया स्वागत।

1000 करोड़ किसानों से कर्ज़ वसूली का किया जाएगा सड़को पर विरोध।

गांधी जी की 150वीं जयंती और समाजवादी आंदोलन के 85 वर्ष पूरा होने के अवसर पर स्वतंत्रता आन्दोलन, समाजवादी आन्दोलन एवं संवैधानिक मूल्यों की स्थापना हेतु निकली भारत जोड़ो – संविधान बचाओ यात्रा की आंठवे दिन की शुरुआत झाबुआ बस स्टैंड पर स्थित तात्या भील तथा गांधीजी के मूर्तियों पर मालार्पण के साथ हुई।

बस स्टैंड पर सभा को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा की फूलमाल,झाबुआ में यात्रियों ने उजाड़े गए सौ परिवारों से मुलाकात की, जिन्होंने बताया की वे 1997 से फूलमाल में रह रहे थे लेकिन बिना कोई नोटिस दिए उनके घरों को एस.डी.एम द्वारा तबाह कर दिया गया ,उजाड़ दिया गया। डॉ सुनीलम ने कहा की जनता ने भाजपा की सरकार को बदलने का काम इसलिए नही किया था की कांग्रेस सरकार आकर आदिवासियों को उजाड़े। डॉ सुनीलम ने मुख्यमंत्री से अपील की कि वे उन सौ परिवारों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने हेतु जिलाधीश को तत्काल निर्देश जारी करें । डॉ सुनीलम में कहा की बामनिया में भी अतिक्रमण हटाया गया है वहां चौराहे पर मामा बालेश्वर जी की मूर्ति स्थापित की जानी चाहिए। उन्होंने मामा बालेश्वर जी की मूर्ति जिलाधीश कार्यालय के समक्ष लगाए जाने की मांग दोहराई।

डॉ सुनीलम ने कहा की अखबारों के माध्यम से मालूम हुआ है की 87 हज़ार किसानों से 1000 करोड़ की वसूली जिला सहकारी बैंको के माध्यम से की जाएगी। डॉ सुनीलम ने कहा की कर्ज़ वसूली का विरोध सड़कों पर किया जाएगा। उन्होंने सरकार से किसानो का कर्ज़ा माफ करने की मांग की।

मामा बालेश्वर जी के अनुयायी राजेश बैरागी ने कहा की रोज़गार गारंटी का काम केंद्र सरकार द्वारा राशि उपलब्ध नही कराने के चलते जिले में बंद पड़ा है, जिसके चलते आदिवासियों का पलायन लगातार बढ़ रहा है। सभा को गोपाल डामोर और बालजी भाई ने भी संबोधित किया।

यात्रा संयोजक अरुण श्रीवास्तव ने वित्त मंत्री द्वारा पेश बजट को जनविरोधी एवं कॉर्पोरेट मुखी बताया ।उन्होंने कहा की सरकार ने भारत के खाद्यान निगम को आवंटित करने वाली राशि को 1.51 करोड़ से घटाकर 75 करोड़ कर दिया है। यह बदलाव किसानों को निजी व्यपारियों की दया पर छोड़ देगा और सरकार के खाद्यान खरीदने की प्रक्रिया को ठेस पहुंचाएगा,जिससे किसानों को दाम नही मिलेगा और आत्महत्याएं बढ़ेंगी।

यात्रियों का हुसैनी चौक पर सलीम क़ादरी, डॉ नौमान खान, साबिर मार साहेब, हाजी अब्दुल गफ्फूर, अलीमुद्दीन सय्यद, कुतुबुद्दीन शेख द्वारा स्वागत किया गया तथा बैठक को संबोधित किया गया। इस मौके पर यात्रियों ने उपस्थित समुदाय को बताया की यात्रा के दौरान उन्होंने एन.आर.सी के खिलाफ गुड़गाव, रेवाड़ी, जयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, बाँसवाड़ा, उदयपुर, डूंगरपुर, रतलाम और थांदला में सभाओं को संबोधित किया है।

समाजवादी विचार यात्रा के यात्रीगण पी.जे. जोसी (केरल), लोकेश भिवानी (हरियाणा), विजय हंगे (महाराष्ट्र), गणेश गोंदरे (महाराष्ट्र), स्वाति, प्रमिला और अंजना (उत्तराखंड), बाले भाई (राजस्थान), रोहन गुप्ता (झारखंड), रामस्वरूप मंत्री (इंदौर), लीलाधर चौधरी (देवास) ने भी सभा को संबोधित करते हुए किया।

डॉ सुनीलम ने कहा की देश में एक तरफ संविधानवादी है और दूसरी तरफ संविधान विरोधी है। एक तरफ वे लोग है जो देश को हिन्दू-मुसलमान भारत-पाकिस्तान में बांटना चाहते है तथा दूसरी तरफ वे लोग है जो देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब को कायम रखना चाहते है तथा संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को कायम रखना चाहते है। संविधान को बचाने के लिए पूरे देश को एकजुट होने की ज़रूरत है।

उलेखनीय है पहले चरण की यात्रा 16 राज्यों में होकर 23 मार्च को हैदराबाद में पूरी होगी । इस चरण में यात्रा 16 राज्यों से गुजरेगी। दूसरा चरण 11 अप्रैल को चंपारण से शुरू होकर 17 मई को पटना में पूरा होगा, इस दौरान 10 राज्यों की यात्रा की जायेगी। तीसरा चरण 11 अक्टूबर को सिताबदियारा (बलिया) से शुरू होकर 31 अक्टूबर को नरेंद्र निकेतन, दिल्ली में समाप्त होगा। समाजवादी विचार यात्रा हेतु देशभर में 500 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।

समाजवादी समागम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता आन्दोलन एवं समाजवादी आन्दोलन के मूल्यों की पुर्नस्थापना के साथ-साथ देशभर के समाजवादी, गांधीवादी, सर्वोदयी, वामपंथी, अंबेडकरवादी विचारधारा से जुड़े जन आंदोलनकारियों, मानव अधिकारवादियों, पर्यावरणवादियों एवं सभी लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले संगठनों और व्यक्तियों को स्थानीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से एकजुट करना है।

मनीष वाघेला, संवाददाता थांदला
माणक लाल जैन, ब्यूरो झाबुआ

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