एसडीएम अजयगढ़ ने ली संघ के अधिकारी व समितियों के साथ बैठक
अजयगढ़। बुंदेलखंड दूध संग्रहण केंद्र अजयगढ़ में अचानक पत्र जारी कर 29 जुलाई से दूध लेना बंद करने का सभी समितियो आदेश दिया गया था कि आगामी आदेश तक दूध संग्रहण नही किया जाएगा। जिससे दो दिन दूध संग्रहण बन्द रहा। जनपद पंचायत में एसडीएम बीबी पांडेय ने संघ के अधिकारियों व समिति के सचिवों की बैठक ली। जिसमे दोनो पक्षो को आने वाली परेशानियों के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। जिसमें संग्रहण के प्रभारी एसएस नौगरिया ने बताया कि अजयगढ़ केंद्र में काफी मात्रा में मिलावटी दूध आता है जो सागर भेजने पर पूरे टैंकर का दूध खराब हो जाता है। जिससे वरिष्ट अधिकारियों के निर्देशन पर अजयगढ़ खरीदी केंद्र बन्द करने के निर्देश दिए थे।
गौरतलब हो कि अजयगढ़ में दूध खरीदी केंद्र में प्रत्येक ग्राम स्तर पर 65 समितियां बनाई गई थी। जिसमे 43 समितियां नियमित दूध खरीदी केंद्र तक पहुचा रही थी। जो लगभग 3000-3200 लीटर दूध प्रतिदिन था। बन्द होने के बाद यह दूध विक्रेता भारी परेशान हो गए।जिन्होंने केंद्र में भी पहुँचकर प्रभारी से कहा कि जो समितियां मिलावटी दूध पहुचा रही है। उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्यवाही करते हुए उन समितियो को भंग करदे एवं जो समितियां वास्तव में किसानों का दूध लेकर खरीदी केंद्र तक पहुचा रही है। उन समितियो को चालू रखा जाए। एवं केंद्र में जांच कर दूध खरीदी जारी रखी जाए। काफी विस्तार से चर्चा होने के बाद एसडीएम बीबी पांडेय ने कहा कि दूध में मिलावट कतई बर्दाश्त नही की जाएगी। एवं खरीदी केंद्र में पुनः दूध खरीदी शुरू की जाए व अधिक दूध लाने वाली समितियो व नियमित संचालित समितियो में दुग्ध प्रभारी अधिकारी गाँव स्तर पर पहुँचकर समिति की बैठक ले एवं आवश्यकता अनुसार मैं भी बैठकों में पहुँचूँगा। प्रत्येक समिति की बैठक की तारीख निश्चित की जाए और उस तारीख पर किसानों की बैठक ली जाए व मिलावटखोरी व नकली दूध के खिलाफ मेरे द्वारा सख्ती से कार्यवाही की जाएगी। व खाद्य विभाग के कर्मचारियों को भी निर्देशित किया जाएगा कि क्षेत्र में भ्रमण कर दूध विक्रेताओं के सैंपल लिए जाए। घर बैठे किसानों की आय होती रहे व लोगो को सही दूध उपलब्ध हो सके। जिससे दूध संघ व समिति की साख बनी रहे। इन सब मुद्दों पर सहमति होकर पुनः दूध खरीदी केंद्र शुरू करने को निर्देशित किया गया। व दूध खरीदी केंद्र बन्द होने से 2-5 लीटर घर बैठे किसानों की आय प्रभावित न हो और किसानों को पशु आहार उपलब्ध हो सके। जिससे खरीदी केंद्र का चलन आवश्यक है।