पिछले कुछ दिनों से चल रही राजनीतिक हलचल, अमर्यादित बयानबाजी, जुबानी जंग आदि ने प्रदेश की जनता को देश के समक्ष शर्मसार होने को मजबूर कर दिया है । यह देखकर,कि सत्ता और पैसे के लालच में हमारे नेता कितना गिर सकते हैं प्रदेश का जनमानस सदमे में है। जनप्रतिनिधि,जो हजारों -लाखों मतदाताओं की पहचान एवं शान होते हैं, एक दूसरे को बुरी तरह अपमानित करने पर तुले हुए हैं। इनके बयानों से ऐसा लग रहा है कि वह जनप्रतिनिधि ना होकर कोई बाजार मे बिकने वाली कोई वस्तु है जिन्हें कोई भी पैसे देकर खरीद सकता है। यह स्थिति बहुत ही सोचनीय है। हमारी राजनीति किस दिशा में जा रही है। ऐसे नेताओं का बहिष्कार होना चाहिए जो हवा में बयानबाजी करके भारतीय राजनीति को शर्मसार कर रहे हैं। मीडिया को भी ऐसे बयानों को नजरअंदाज करना चाहिए जिससे इस प्रकार के बयान वीरों के बयानों पर रोक लग सके।
निश्चित रूप से बगैर किसी ठोस सबूत के इस तरह की अभद्र बयान बाजी एवं जुबानी जंग अब बंद होनी चाहिए । हमारी संसद और विधानसभा को लोकतंत्र के मंदिर की संज्ञा दी जाती है तो इनके सदस्य मंदिर में स्थापित देवता। इस प्रकार जनप्रतिनिधि एक सम्मानजनक पद है, जिसकी गरिमा रखी जानी चाहिए। नेताओं को भी स्वयं की गरिमा समझनी चाहिए और अपने बयानों आचरण को इस स्तर पर लाना चाहिए जिससे क्षेत्र की जनता, जिसने उन्हें बड़ी उम्मीद और विश्वास से चुना है उन पर गर्व कर सके ।
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