खजुराहो पर्यटन व्यवसाय की स्थिति चिंताजनक, संवाद न्यूज डिप्टी हेड अनुपम गुप्ता की विशेष रिपोर्ट

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खजुराहो पर्यटन व्यबसाय की स्थिति चिंताजनक।

खजुराहो के पर्यटन पर चिंता होना स्वाभाविक है।
विश्व प्रसिद्ध धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, एवं अंतरष्ट्रीय पर्यटन स्थल खजुराहो आज अपनी बदहाली पर आँसू बहा रहा है। जिसके लिए निश्चित तौर पर हमारे देश की सरकारें व उनकी पर्यटन नीतियाँ जिम्मेदार हैं?

स्थानीय स्तर पर पर्यटकों की सुविधा हेतु, बढ़ते होटल, रेस्तरां, लेकिन वही कम होते पर्यटक चिंता का सबब बनते जा रहे हैं। लगातार आठ-दस वर्षों से खजुराहो के पर्यटन में आई गिरावट चिंता और चिंतन का कारण बन गया है, क्योंकि खजुराहो के गिरते पर्यटन व्यवसाय के कारण ही यहाँ के होटल व्यवसाई अपने होटलों को बेचकर अन्यत्र पलायन की दिशा में अग्रसर हैl
दुनिया के लिए अनमोल धरोहर खजुराहो की शिल्पकला जो अपने आप में एक बेजोड़ कला है, जिसका आकर्षण सात समंदर पार तक है। दुनियाभर के पर्यटक खजुराहो की इस बेहतरीन शिल्पकला को निहारने आते रहे हैं जिनमें विदेशी सैलानियों की संख्या बहुतायत होती थी, एक समय तो खजुराहो ऐसा लगता था जैसे यूरोप का एक छोटा सा गांव हो, हर गली मोहल्ले एवं सड़कों पर सिर्फ और सिर्फ विदेशी पर्यटक ही नजर आते थे, लेकिन आज नजर डाली जाए तो यह पर्यटन स्थल खजुराहो जहाँ आधुनिक स्तर पर विकास तो हुआ, लेकिन पर्यटन के दृष्टिकोण से विकास ना होने के करण पर्यटकों की संख्या में बेहद गिरावट आती गई। आज यह दिन देखने को मिल रहे हैं कि लोग इससे चिंतित होकर दूसरे व्यवसाय या अन्यत्र कहीं जाकर काम तलाशने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
किसी भी पर्यटन स्थल के विकास हेतु वहाँ के लिए उपयुक्त आवागमन के साधन अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, खजुराहो जैसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल को जोड़ने हेतु एयर कनेक्टिविटी बहुत ही कमजोर होने के कारण विदेशी पर्यटकों को खजुराहो आने में बड़ी समस्या हो रही है। खजुराहो के लिए एयर कनेक्टिविटी और दिल्ली में बैठे प्रिंसिपल ट्रैवल एजेंट्स निश्चित रूप से खजुराहो के पर्यटन व्यवसाय में हो रही गिरावट की प्रमुख कारण है, जिन के निदान हेतु पर्यटन से जुड़े विभाग को इस विषय पर चिंतन करते हुए नीतियों में सुधार लाकर खजुराहो के पर्यटन व्यवसाय में बढ़ोतरी लाने हेतु उचित दिशा-निर्देश देकर कदम उठाए जाने आवश्यक है, जिनमें बेहद कमी देखी जा रही है।
खजुराहो जैसी पर्यटन स्थल की आमदनी का प्रमुख स्त्रोत पर्यटन ही है यहाँ की लगभग 80% आबादी पर्यटन पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। गिरते पर्यटन के कारण यहाँ के लोग बेहद चिंतित एवं गमगीन नजर आते हैं ,इस दिशा में चाहे वह क्षेत्रीय विधायक हो या सांसद हों, बहुत अच्छे तरीके से प्रयास नहीं किए गए ,अगर प्रयास किए गए होते तो खजुराहो की यह दिशा व दशा नहीं होती ,अब समय आ गया है कि जनप्रतिनिधि अपने दायित्वों का उचित निर्वहन करते हुए खजुराहो के लिए एयर कनेक्टिविटी एवं अन्य वह बाधक तत्व जिनके कारण पर्यटन प्रभावी प्रभावित हो रहा है उन सभी कारणों को दूर करते हुए उचित निदान करके खजुराहो के पर्यटन व्यवसाय में बढ़ोतरी लाना ही होगा, वरना ना सिर्फ खजुराहो खत्म हो जाएगा बल्कि हमारे पूर्वजों के द्वारा दी गई अनमोल विरासत भी धुंधली हो जाएगी, जो भारतीय कला एवं संस्कृति के लिए एक काला अध्याय साबित होगा।
खजुराहो के पर्यटन अस्तित्व को बचाने के उद्देश्य से पर्यटन क्षेत्र से जुड़े हुए खजुराहो के कुछ समाजसेवी एवं जागरूक लोगों ने अब खजुराहो की दिशा व दशा बदलने के उद्देश्य से जन आंदोलन की राह अपना रहे हैं ,यह आंदोलन उग्र ना हो एवं जो पर्यटक हैं वह परेशान ना हो इसके लिए हमारे जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन में बैठे लोगों को इस हेतु शीघ्र ही उचित निदान खोजने होंगे, खजुराहो जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल को फिर से वही स्थान प्राप्त हो सके जो कभी था। यहाँ के वह सभी संसाधन एवं उचित व्यवस्था एवं स्पेशल बजट के साथ मध्यप्रदेश शासन एवं भारत सरकार की पर्यटन नीति में शुमार कर खजुराहो के लिए स्पेशल बजट के माध्यम से ऑक्सीजन देने का काम करें तो हो सकता है कि खजुराहो की स्थितियां फिर से संभल जाए ,और यहां के बुझे हुए चेहरे जो गिरते पर्यटन स्तर से बुझे हुए हैं फिर से जगमगा जाए एवं खिले हुए नजर आए हम यही उम्मीद करते हैं।
अब खजुराहो आशा और उम्मीद के साथ एक नई किरण की उम्मीद में है, देखते हैं यह उम्मीद की किरण अब कौन जगाता है एवं खजुराहो के विकास में नई रोशनी लाकर बुझे हुए चेहरों को एक नई आश जगाकर खजुराहो के लिए वरदान साबित होता है

अनुपम गुप्ता
संबाद न्यूज़, डिप्टी न्यूजहेड
खजुराहो

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