एफ डी आई और विनिवेश देश के उद्योगों के लिये घातकः वाई एन सिह
सिगरौली। भारतीय मजदूर संघ के कोयला उद्योग में कार्यरत महासंघ अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के कार्यकारिणी सदस्य जेबीसीसीआई एवं बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ के सदस्य वाईएन सिंह ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के कोयला सेक्टर में 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश यएफडीआई करने के नीति आयोग के प्रस्ताव को भारत सरकार ने बीते 28 अगस्त को मंजूरी देकर आत्मघाती हमला कर दिया है। उन्होंने कहा कि धीरे धीरे बढ़ाये गये विनिवेश का खामियाजा भुगत रहे देश के कई स्टै्रटेजिक सेक्टर के उद्योगों को यदि शत प्रतिशत एफडीआई की सलीब पर लटका दिया गया तो इससे न केवल इन उद्योगों को बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था के साथ ही साथ लाखों कामगारों पर इसकी गाज गिरेगी जो किसी भी परिस्थिति में देश के हित में नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा पीएसयू में जब जब भी विनिवेश किया गया तब तब बी एम एस ने उसका प्रबल विरोध किया जिसके वजह सेए विनिवेश की गति पर लगाम लगी। लेकिन अब कोयला क्षेत्र के 100 एफडीआई की घोषणा से इस उद्योग में कार्यरत लाखों श्रमिकों को असहज कर दिया है। उन्होंने बताया कि बीएमएस ने कोल इंडिया स्तर पर आगामी 23 से 27 सितंबर तक एफडीआईए विनिवेश एवं कंपनियों की डीबंडलिंग के विरोध में 5 दिवसीय हड़ताल करने का ऐलान कर दिया है। नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लि० सिंगरौली में कार्यरत बीएमएस के संगठन बीकेकेएसएस द्वारा संगठन के कार्यालय रामनरेश स्मृति भवन में रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में बोलते हुए श्री सिंह ने बताया कि 1956 में देश में औद्योगिक नीति बनी जिसे 1971 में बदलना पड़ा। सन् 1990 – 91 में नरसिंह राव सरकार के कार्यकाल में औद्योगिक सुधार एक्ट लाया गया और यहीं से पीण्एसण्यूण् ईकाइयों पर विनिवेश एवं रीस्ट्रक्चरिंग की तलवार लटकने लगी। क्योंकिए डब्ल्यूटीओ में हुए समझौतों के आधार पर वैश्विकरण हुआ। श्री सिंह ने बताया कि तभी से जितनी भी सरकारें आईं उन्होंने कम्यूनिज्म की विफलता के बाद पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाते हुए लाभ केन्द्रित रचना का सृजन किया। उन्होंने बताया कि बीएमएस के दबाव के कारण ही पिछली सरकार में श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने श्रम सुधार करते हुए 4548 करोड़ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के लिये प्रावधान बनाए जो पहले नहीं थे। लेकिन आर्थिक सुधारों के नाम पर 92 पीएसयू के विनिवेश को बढ़ावा मिला। यही नहीं स्ट्रैटेजिक सेक्टर के उद्योगों के 100 फीसदी एफडीआई का द्वार खोल दिया गया। मजदूर संघ के नेता श्री सिंह ने बताया कि नीति आयोग में चल रही गतिविधियों के बीच भारतीय मजदूर संघ ने 6 जून को दिल्ली में बैठक कर आगाह कर दिया था। लेकिन भारत सरकार के कोयला व स्टील आदि उद्योगों के शत प्रतिशत एफडीआई पर आमादा होने से 23 जुलाई से 9 अगस्त तक तीव्र विरोध का क्रम चलाया गया। उन्होंने बताया कि विनिवेश करने के पीछे सरकार द्वारा दिया गया यह तर्क कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को 5 बिलियन एकोनॉमी बनाने में सहायता एवं रोजगार का सृजन करने में सहयोग मिलेगाए यह तर्क बेमानी है। श्री सिंह ने कहा कि अर्थ आधारित अमेरिकाए ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देश मंदी और बेरोजगारी की समस्या से बोझिल हैं। उन्होंने बताया कि कोल इंडिया में क्रमशः 30 प्रतिशत विनिवेश के बाद पूर्व में कार्यरत करीब 5 25 लाख कर्मचारियों की संख्या घटकर अब महज 28 लाख ही रह गई है। बीएमएस आगामी 23 से 27 सितंबर तक अपने 5 दिवसीय काम बंद हड़ताल की घोषणा कर चुकी है। संगठन इसके पुरजोर विरोध की तैयारियों में जुटी है। इसमें गैर राजनीतिक संगठनों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।वार्ता में शामिल बीकेकेएसएस के अध्यक्ष हीरामणि यादव एवं महामंत्री पी के सिह ने बताया कि महासंघ के मार्गदर्शन में उनका संगठन एनसीएल में हड़ताल करने की तैयारी कर चुका है। वार्ता के दौरान बीकेएमएस के उपाध्यक्ष मुन्नीलाल यादव बीकेकेएसएस के उपाध्यक्ष तेजूलाल मरावी कोषाध्यक्ष अजय मिश्रा कार्यालय मंत्री जोगेन्दर सिंहए मीडिया प्रभारी देवेन्द्र कुमार सक्रिय सदस्य शिवशंकर यादव आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
सिंगरौली से संवाद न्यूज ब्यूरो गोबिन्द राज की रिपोर्ट