आश्रम के मंदिरों की मूर्तियां हो रही चोरी
सलेहा न्यूज :- सलेहा समीपस्थ कुछ ही दूरी पर बहुचर्चित सिद्ध स्थली स्वामी सिद्धनाथ स्थान जो अगस्त मुनि आश्रम के नाम से प्रसिद्ध है यह प्राचीन आश्रम चंदेलकालीन 1200 – 1500 ईश्वी के आसपास निर्मित बताया जा रहा है। ऐतिहासिक सिद्धनाथ आश्रम के संरक्षण की दिशा में अभी तक मैदानी स्तर पर किसी प्रकार की कार्यवाही शुरू नहीं हो पाई दस्तावेजी कार्यवाही भी मंद गति से चल रही है आलम यह है कि पुरातत्व विभाग के उपसंचालक अभिलेखागार एवं संग्रहालय उत्तरी क्षेत्र ग्वालियर ने 5 माह पूर्व राजस्व विभाग को पत्र लिखकर सिद्धनाथ आश्रम के संरक्षण की कार्यवाही शुरू करने के लिए इससे संबंधित खसरे और नक्शे मांगे थे लेकिन राजस्व अधिकारियों ने अब तक नहीं भेजा इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उक्त स्थल के संरक्षण को लेकर प्रशासन कितना गंभीर है कार्यालय उपसंचालक पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय उत्तरी क्षेत्र ग्वालियर की ओर से करीब 5 माह पूर्व 2 जुलाई को तहसीलदार गुनौर को एक पत्र जारी किया था इसमें कहा गया था कि सिद्धनाथ आश्रम का मंदिर ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व का है इसे राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया जाना है इसीलिए मंदिर की राजस्व जानकारियों में 5 साल खसरा, लाल स्याही से दर्शित पटवारी नक्शा, शासन द्वारा जारी अनुसूची सहित सभी जानकारी की पांच पांच प्रतियां आयुक्त पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय भोपाल भेजने के लिए कहा था लेकिन यह जानकारी पुरातत्व विभाग को नहीं मिल पाई। इससे संरक्षण की प्रक्रिया पांच माह से अटकी हुई है।
श्रीराम पथ गमन मार्ग के नक्शे में है सिद्धनाथ आश्रम
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिद्धनाथ आश्रम रामपथ गमन मार्ग में पड़ता है। श्रीराम पथ गमन मार्ग के जारी नक्शे में पन्ना जिले के चार ऐतिहासिक स्थलों को शामिल किया गया है जिनमें बृहस्पतिकुंड बृजपुर , सुतीक्षण आश्रम सारंग , ऋषि अग्निजिव्हा का आश्रम बड़ागांव , और अगस्त मुनि आश्रम सिद्धनाथ आश्रम सलेहा शामिल है। अपने आप में हजारों सालों का इतिहास संजोय हुए है। इसके बाद भी इसे संरक्षित करने की दिशा में अभी तक मैदानी स्तर पर प्रयास नही हो पाया है।
आश्रम परिसर में नही है मूलभूत सुविधाएं
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार भगवान श्रीराम चित्रकूट के जंगलों से होते हुए पन्ना जिले के जंगलों में काफी समय तक भटके थे आश्रम परिसर में समुचित साफ सफाई नही होने से यहां कीड़े मकोड़ों का वास रहता है। आश्रम की ऐतिहासिकता प्रमाणित होने के बाद भी जिम्मेदार कभी इसे संजोने और सवांरने का प्रयास नही किया। यहां तक कि पहुंच मार्ग भी नही होने के कारण लोग आसानी से यहां तक नही पहुंच पाते हैं। जिस कारण से चोरों को आश्रम से चोरी करने में आसानी होती है।
आज भी असुरक्षित है आश्रम
राम पथ गमन मार्ग के नाम पर राजनीति करने वाले जनप्रतिनिधि कभी श्रीराम पथ गमन मार्ग से जुड़े ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के स्थलों के संरक्षण को लेकर गम्भीर नही हो रहे हैं। यही कारण है कि भगवान श्रीराम के वन गमन मार्ग में पड़ने वाला सिद्धनाथ आश्रम असुरक्षित है। आश्रम तक पहुंचने के लिए पहुंच मार्ग नही है। लोगों को पैदल ही नदी पार करके वहां जाना होता है आश्रम में बने हजारों साल पुराने मन्दिर में मढ़ी दुर्लभ पाषाण प्रतिमाएं लगातार चोरी हो रही हैं आश्रम में बने छोटे छोटे मन्दिर देखरेख के अभाव के कारण खंडहर हो रहे हैं इसके बाद भी जिम्मेदार लोग आश्रम की व्यवस्थाओं को सुधारने की दिशा में कभी गम्भीर नजर नही आए। यह सब देख व सुनकर ऐसा लग रहा है जैसे जिम्मेदार कुम्भकर्णीय नींद में हो अब यह मालूम नही की इनकी कब तक नींद खुलेगी।
कलेक्टर के भ्रमण का भी नही दिखा असर
कुछ दिनों पूर्व सलेहा में आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के आयोजित हुआ था जिसमें कई लोगों के द्वारा चौमुखनाथ में प्रतीक्षालय व सिद्धनाथ आश्रम के बारे में कलेक्टर को अवगत कराया गया था जिस पर कार्यक्रम समापन के बाद कलेक्टर ने सिद्धनाथ आश्रम का भ्रमण किया और मीडिया ने जब इस पर सवाल पूंछे तो इनके द्वारा कहा गया कि मैं इसकी जांच करवा के जल्द ही इसके संरक्षण की व्यवस्था करवाई जाएगी। लेकिन उस दिन के बाद न तो कोई अधिकारी पहुंचे और न ही कोई कार्य किया गया।