अजयगढ़ = सूर्य के उत्तरायण होने एवं मकर राशि में प्रवेश का पर्व मकर संक्रांति अजयगढ़ में अजयपाल के किले में हजारों की तादात में उनके दर्शन करने दूर दूर से लोग आते है अजयपाल का महत्व यह चंदेल कालीन है एवं अजयपाल की मूर्ति मकर संक्रांति के ही समय लोगो को दर्शन के लिए मंदिर में स्थापित की जाती है पुरातत्व विभाग द्वारा उक्त दुर्लभ पत्थर की मूर्ति को रीवा के पुरातत्व संग्रहालय में सुरक्षित रखी जाती है मेला के एक दिन पूर्व उक्त मूर्ति को अजयगढ़ पुरातत्व विभाग द्वारा लाया जाता है एवं अजयगढ़ स्थित संग्रहालय में रखा जाता है जहां से प्रातः सुबह 9 बजे एसएफ के जवानों की सुरक्षा में अजयपाल की मूर्ति पहाड़ में स्तिथ मंदिर में ले जाई जाती है व शाम को पुनः संग्रहालय में जमा होती है दो दिन दर्शनों के बाद तीसरे दिन पुनः मूर्ति रीवा संग्रहालय में चली जाती है उक्त मूर्ति के महत्व को देखते हुए लाखो लोग उस मूर्ति के दर्शनों को दूरदराज से लोग आते है एवं मेला जयस्तंभ स्थित छोटी फील्ड में लगाया जाता है नगर पंचायत द्वारा मेले की सारी व्यवस्था की जाती है मेले में पहाड़ के ऊपर भी मेडिकल टीम व सुरक्षा व्यवस्था की जाती है मेले में शांति बनाने के लिए नगर निरीक्षक अरविंद खुजुर द्वारा चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की गई है ।
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