किसी भी पुस्तक विक्रेता से पुस्तक एवं यूनिफार्म सेट खरीद सकते हैं पालक – कलेक्टर,संवाद न्यूज एमडी कमलेश कुशवाहा की रिर्पोट

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रीवा 26 मई 2020. कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी बसंत कुर्रे ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (2) के अन्तर्गत आदेश जारी किये हैं कि जिले के सभी पुस्तक विक्रेताओं तथा स्कूल की यूनिफार्म विक्रेताओं को इस आशय की सूचना अपनी दुकान पर लगाना तथा उसका पालन करना अनिवार्य होगा की कोई भी व्यक्ति कितनी भी संख्या में पुस्तक या यूनिफार्म क्रय कर सकता है। उसे पुस्तकों का पूरा सेट खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जायेगा। उन्होंने आदेश जारी किये कि प्रत्येक विद्यालय को अपने सूचना पटल पर उन दुकानों के नाम प्रदर्शित करना आवश्यक होगा जहां पर उस विद्यालय से संबंधित पुस्तकें तथा यूनिफार्म विक्रय हेतु उपलब्ध है साथ ही यह स्पष्ट करना होगा कि विद्यालय द्वारा किसी भी विशेष दुकान में क्रय करने की कोई बाध्यता नहीं है। प्रत्येक विद्यालय को अपने विद्यालय में चलन वाली पुस्तकों की सूची लेखक एवं प्रकाशक का नाम तथा मूल्य अपने विद्यालय के सूचना पटल पर एवं अपनी बेवसाइट पर प्रदर्शित करना आवश्यक होगा। यह जानकारी शाला के छात्रों एवं अभिभावकों द्वारा मांगने पर उन्हें उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा साथ ही कक्षा एक से 12वीं तक कक्षावार पुस्तकों की सूची जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रतिवर्ष उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से संपूर्ण रीवा जिले में लागू होगा। आदेश का उल्लंघन भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 188 के अधीन माननीय होगा।
कलेक्टर बसंत कुर्रे ने आदेश जारी कर कहा है कि जिले में अनेक अशासकीय विद्यालय संचालकों द्वारा निजी प्रकाशनों की अनेक पुस्तकों का उपयोग विद्यालय के पाठ्यक्रम में किया जा रहा है। इसी प्रकार विद्यालयों में उनका अपना यूनिफार्म (ड्रेस) कोड आदि नियत है। यह पुस्तकें तथा यूनिफार्म आदि बाजार की किसी विशेष दुकान पर ही उपलब्ध है तथा पालकों को उक्त दुकान से ही क्रय करने का दबाव डाला जाता है। इसी प्रकार दुकानदार ग्राहकों को फुटकर पुस्तक न देकर पूरा सेट खरीदने के लिए बाध्य करते हैं। इस प्रकार की मोनोपाली कानूनी व नैतिक रूप से गलत है। इससे पालकों को अनावश्यक व्यय करना पड़ता है। उनका अवैधानिक शोषण होता है। इसके कारण विद्यालयों व दुकानों पर लड़ाई-झगड़े होना आम हो गया है। इससे कानून एवं व्यवस्था संचालन में अनापेक्षित व्यवधान उत्पन्न होता है तथा लोक परिशांति क्षुब्ध होने की प्रबल आशंका उत्पन्न हो गयी है। इसलिए दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा (2) के अन्तर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश पारित किया गया है।

कमलेश कुशवाहा, एमडी संवाद न्यूज

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