टिड्डी दल का आतंक खेतो को कर रहे है नष्ट,भगाने में जुटे ग्राम वासी ।
जहां से गुजरता है दल उस इलाके के खेतों को होता है भारी नुकसान टिड्डी दल अजयगढ तहसील के भापतपुर कुर्मियान से गुजर कर सलैया की तरफ मुड़ गया कुछ देर के लिए किसानों के माथे में चिंता की लकीरें आ गई थी
ग्रामीण लोग भगाने का कर रहे थे प्रयाश
टिड्डी दल को भगाने में कोई धुंआ तो कोई टीन तो कोई थाली बजाने में जुटा तो कोई पटाखे फोड़ने में लगा है
जानकारी के अनुसार अपने बजन से अधिक करती है भोजन एक दिन पहले ही एसडीएम अजयगढ़ व फॉरेस्ट विभाग टिड्डी दल का रात भर लगाते रहे लोकेशन । हालांकि पन्ना से गुजरे टिड्डी दल से कुछ मात्रा कम बताई जा रही है प्राप्त जानकारी के अनुसार अजयगढ़ की तरफ आते आते लोटा सलैया कि तरफ निकल गया है
पचास साल बाद निकला टिट्टी दल, देखकर हर्षित हुए बच्चे, चिंतित हुए किसान टिड्डी दल ने 26 मई मंगलवार को करीब दो बजे दोपहर में अजयगढ तहसील के ग्राम भापतपुर कुर्मियान में दस्तक दी जिसे देखने ग्रामीण चिलचिलाती धूप में घरों से बाहर निकल पड़े।तथा घंटी घंटा तथा ताली-थाली बजाना शुरू किया। तथा किसानों ने खेतों में आग लगा कर धुंआ करना शुरू कर दिया। और टिड्डी दल को भगाने के प्रयास किए गए। हालांकि कि टिड्डी दल अधिक नहीं था। जिससे किसान अधिक चिंतित नहीं देखें गये। जबकि बच्चें टिड्डी दल को देखकर उत्साहित दिखे। शोर के कारण आसमान पर अधिक ऊंचाई पर रहा जमीन पर नहीं उतर पाया। जिससे ग्राम के किसानों को किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई है। यदि फसल का समय होता खेतों में फसल होती तो क्षति हो सकती थी। लेकिन बहुत कम खेतों में सिर्फ पेपरमिंट की फसल है। और टिड्डी दल खेतों में बैठ भी नहीं पाया है। टिड्डी दल पेड़ों में अपना ठिकाना बनाने की ताक में दिखा। जिससे कोई अंदाजा भी नहीं लगा पाया कि टिड्डी दल किस ओर जा रहा है। पैंसठ वर्षीय जगप्रसाद पाण्डेय ने बताया कि जब मैं पन्द्रह साल का था।तब टिड्डी दल निकला था।वह करोड़ों की संख्या में था जिससे उसकी छाया के कारण अंधेरा सा छा गया था।आज पूरे पचास साल बाद टिड्डी दल निकला है। लेकिन वह रूप नहीं लिए है।