कोरोनावायरस का नया अवतार Happy hypoxia एक घातक रुप में, सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी, रिसर्च में हुआ खुलासा

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संवाद न्यूज (न्यूज डेस्क) Happy hypoxia । ना सांस उखड़ेगी न दम फूलेगा, सांसें कब कम हो जाएंगी आपको पता भी नहीं चलेगा। घटती सांसें आपको धीरे-धीरे मौत की दहलीज पर ला खड़ा करेंगी और आप इससे अंजान ही बने रहेंगे। जी हां कोरोना की हैप्पी हाइपोक्सिया स्टेज के कारण मरीज का ऑक्सीजन सैचुरेशन 60 तक पहुंच रहा है, लेकिन उसे पता नहीं चल रहा है। मरीज को सिर्फ बुखार और खांसी जैसे लक्षण होते हैं। जब पल्स ऑक्सीमीटर से जांच की जाती है तो ऑक्सीजन लेवल बहुत कम निकलता है। बाद में यह स्थिति मौत का कारण भी बन जाती है। सुपर स्पेशियलिटी में कई मरीज इसके चलते मौत के दरवाजे पर पहुंच चुके हैं। मेडिसिन विशेषज्ञों के अनुसार सुपर स्पेशियलिटी में आने वाले मरीज खुद अपनी बीमारी की गंभीरता से अनजान होते हैं।

बुधवार तक 143 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है, जिसमें करीब 40 प्रतिशत मरीज हैप्पी हाइपोक्सिया की स्टेज के थे।

सितंबर के 23 दिन में 75 मौत

कोरोना से सितंबर के माह में 23 दिनों में 75 लोगों की मौत हो चुकी है। हर दिन औसतन तीन लोगों की जान जा रही है। इसका कारण कोरोना के साथ कुछ हद तक लापरवाही भी है। बुधवार को एक मरीज जब भर्ती हुआ तो उसका ऑक्सीजन सैचुरेशन 30 पर था। कुछ घंटे वेंटीलेटर पर रहने के बाद देर रात उसकी मौत हो गई। इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों को अब बीमारी के प्रति गंभीर होना होगा। बीमारी के इस स्तर पर पहुंचने से पहले ही इलाज के लिए सचेत होंगे तो जान बच सकती है।

क्या है हैप्पी हाइपोक्सिया स्टेज

इस स्टेज में कोरोना पॉजिटिव का ऑक्सीजन सैचुरेशन 60 तक पहुंच जाता है, लेकिन उसे पता नहीं चलता है। सामान्यतः ऑक्सीजन लेवल कम होने पर पल्स रेट या हार्ट रेट बढ़ती है। उनकी रेस्पीरेटरी रेट भी ठीक होती है। यहां तक की मरीज को सांस फूलने की शिकायत भी नहीं होती है। जबकि उसका ऑक्सीजन लेवल बहुत कम हो चुका होता है। हालांकि इस दौरान मरीज को हल्का बुखार और अन्य लक्षण होते हैं। ऐसे में मरीज का सतर्क होना जरूरी है।

एक्सपर्ट व्यूः

मरीज अभी भी कोरोना को ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हैप्पी हाइपोक्सिया कोरोना में अब कॉमन हो रहा है। इसके 40 प्रतिशत मामले आ रहे हैं। कई केस में मरीज बहुत लेट रिपोर्ट कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि उनकी तबियत कोरोना के कारण नहीं, बल्कि अन्य बीमारियों के कारण बिगड़ रही है। जब तक वे सुपर स्पेशियलिटी में आते हैं, उनका ऑक्सीजन लेवल कई बार 30 प्रतिशत तक पहुंच चुका होता है। ऐसे में उनकी मौत तक हो जाती है। इस बीमारी को बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। – डॉ. विजय गर्ग, सहायक प्राध्यापक, मेडिसिन विभाग जीआर मेडिकल कॉलेज

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