गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती मनाई गई।”हिंदी काव्य गगन के दैदीप्यमान सूर्य तुलसीदास संत शिरोमणि तो है ही,कवि शिरोमणि भी है ।”- भेरूसिंह चौहान”तरंग” _झाबुआ से माणकलाल जैन की रिपोर्ट

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झाबुआ/ अखिल भारतीय साहित्य परिषद के बैनरतले हनुमान टेकरी परिसर में महाकवि तुलसीदास जी की जयंती के अवसर पर लाक डॉउन एवं सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए ” काव्य गोष्ठी” का आयोजन किया गया जिसमें जिले के ख्यात साहित्यकार कवि डॉ.रामशंकर चंचल,गणेश उपाध्याय,पी.डी.रायपुरिया , भेरूसिंह चौहान”तरंग”, कुलदीप सिंह पंवार ,तुषार राठौर सहित अन्य साहित्यकार कवियों ने मां सरस्वती एवं गोस्वामी तुलसीदास जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत। कार्यक्रम के आयोजक अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष भेरूसिंह चौहान” तरंग” थे ।इस अवसर पर तुषार राठौर ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की । डॉ.रामशंकर चंचल ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा कि तुलसीदास जी तत्कालीन समाज में भक्त कवि के साथ साथ समाज सुधारक भी माने गए हैं।उन्होंने काव्य शास्त्र को माध्यम बनाकर हिंदी साहित्य को श्रेष्ठ रचनाएं प्रदान की ।पंडित गणेश उपाध्याय ने कविता प्रस्तुति के साथ ही कहा कि तुलसीदास ने रामायण की कथा को ऐसे आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया है कि उसे पढ़कर सभी को जीवन निर्माण की प्रेरणा मिलती है । भेरूसिंह चौहान”तरंग” ने तुलसीदास जी के जीवन की घटनाओं पर स्वरचित काव्य रचना की प्रस्तुति के साथ ही कहा कि” हिंदी काव्य गगन के दैदीप्यमान सूर्य तुलसीदास संत शिरोमणि तो है ही,कवि शिरोमणि भी है ।उनका काव्य वाणी का कंठहार है ।वरिष्ठ साहित्यकार कवि पी.डी. रायपुरिया ने काव्य रचना की प्रस्तुति के साथ ही संक्षेप में उनके जीवन वृतांत पर सटीक उदाहरण के साथ प्रकाश डाला । कुलदीप सिंह पंवार ने कहा कि तुलसीदास जी अत्यंत विद्वान कवि थे ।उन्होंने अवधि और बृज भाषाओं में रचनाएं की संस्कृत के साथ ही अरबी और फारसी के भी प्रकांड विद्वान थे । अन्य उपस्थिति साहित्यकारों ने भी अपनी बात पटल पर रखी ।
कार्यक्रम का संचालन भेरूसिंह चौहान” तरंग” एवं आभार व्यक्त किया कुलदीप सिंह पंवार ने ।

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