एकलव्य विश्वविद्यालय में आज होगी 10 मुनिराजों की भव्य आगवानी/ दमोह से संवाद न्यूज़ प्रबंध संपादक विजय यादव

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दमोह – संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावी शिष्य मुनिश्री 108 सौम्यसागर जी महाराज जी ससंघ (10 मुनियों) का भव्य मंगल प्रवेश आज प्रातः 7:00 बजे एकलव्य विश्वविद्यालय में हो रहा है। विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ सुधा मलैया ने बताया कि पूज्य मुनि संघ के प्रवचन एवं आहारचर्या विश्वविद्यालय परिसर में संपन्न होगी। विश्वविद्यालय में स्थापित होने वाले श्री 1008 आदिनाथ मानस्तम्भ के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि दोपहर 1:00 बजे मानस्तम्भ का भूमिपूजन एवं शिलान्यास पूज्य श्री 108 मुनि श्री सौम्य सागर जी एवं मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में तथा डॉ. अभिषेक जैन एवं डॉ. आशीष जैन, सगरा के प्रतिष्ठाचार्यत्व में सम्पन्न होगा। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पवन जैन ने बताया कि सौभाग्य से कुंडलपुर में होने वाले बड़े बाबा के आगामी पंचकल्याणक महामहोत्सव आयोजित होने के कारण हमारे विश्वविद्यालय को सतत दिगंबर मुनिराजों एवं आर्यिका माताओं की आगवानी करने एवं आहारचर्या कराने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है।

विश्वविद्यालय परिसर में हुई आर्यिका 105 श्री अंतर मति माताजी ससंघ 14 आर्यिकाओं की आगवानी

डॉ. सुधा मलैया ने बताया कि कल प्रातः 9:30 बजे आर्यिका 105 श्री अंतर मति माताजी ससंघ 14 आर्यिकाओं की भव्य अगवानी, आहारचर्या एवं उनके मंगल प्रवचन विश्वविद्यालय में संपन्न हुए। आर्यिकाश्री ने मंगल उपदेश देते हुए उपस्थित छात्र एवं छात्राओं को सफल विद्यार्थी जीवन शैली के विषय में बताया की नींद का विज्ञान है। 9:00 से 12:00 तक प्रति घंटे की नींद 3 घंटे के बराबर होती है और 12:00 से 3:00 में 2 घंटे के बराबर और 3:00 से 6:00 में 1 घंटे के बराबर होती है। अतः यदि हमें शुद्ध ऑक्सीजन, विटामिन डी, सकारात्मक ऊर्जा चाहिए तो सुबह उठना चाहिए। वह स्वस्थ मन और बुद्धि के विकास में सहायक है। उन्होंने कहा कि सुधा मलैया के नेतृत्व में इस विद्यालय तथा विश्वविद्यालय में बच्चों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो रहा है। यह देख कर मैं बहुत आनंदित हूं। मुझे बहुत से विद्यालयों और महाविद्यालयों में जाने का अवसर मिला किंतु ऐसा सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर वातावरण कम देखने को मिलता है। यह मुझे मेरे गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा स्थापित प्रतिभास्थलीओं का स्मरण कराते हैं। माताजी ने कहा कि छात्र जीवन में त्याग और संयम से छात्रों का जीवन सफल हो सकता है।

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