गुनौर क्षेत्र मे गहराता गम्भीर पेयजल संकट,निदान हेतु सार्वभौमिक चिंतन की.आवश्यकता, पत्रकार वेद प्रकाश तिवारी की कलम से

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  • क्षेत्र मे गहराता पेय जल संकट सार्वजनिक चिंतन का विषय :- वेद प्रकाश तिवारी(पत्रकार)

गुनौर#@. प्रिय गुनौर के नगर वासियों “जल संकट” आज गुनौर की बहुत ही विकराल समस्या पनप रही है और आने वाले समय में यह समस्या विकट रूप धारण कर सकती है और भविष्य में गुनौर से लोगों के पलायन का कारण बन सकती है! हालांकि हम कह गुनौर#@. प्रिय गुनौर के नगर वासियों “जल संकट” आज गुनौर की बहुत ही विकराल समस्या पनप रही है और आने वाले समय में यह समस्या विकट रूप धारण कर सकती है और भविष्य में गुनौर से लोगों के पलायन का कारण बन सकती है! हालांकि हम कह सकते हैं कि यह केवल गुनौर की समस्या नहीं अपितु पूरे भारत देश की समस्या है लेकिन अगर रहवासी अपने-अपने क्षेत्र की समस्या को दूर करने में लग जाएं तो धीरे धीरे पूरे देश की समस्या पर कहीं हद तक काबू पाया जा सकता है! स्वच्छता के अंतर्गत चार बातें अंतर्निहित की गई हैं जिसमें जल, स्वच्छता, साफ सफाई और वृक्षारोपण को जितनी भी सरकारें बनी सब ने जोर दिया पर सही तरीके से यह कार्यक्रम देश में सही तरीके से नहीं चल पाए क्योंकि इन कार्यक्रमों में जनता की उदासीनता देखी गई ,जबकि सरकारों द्वारा जनता और आने वाली भविष्य मैं समस्याओं को देखते हुए यह कदम उठाए गए पर जब तक जनता एक्टिव नहीं होगी तो सरकार कुछ नहीं कर लेगी और आने वाली प्राकृतिक आपदाओं का जनता को ही सामना करना पड़ेगा!
हम देखते हैं आज कि गुनौर मैं जो जल संकट इतना गहराया हुआ है उसका केवल एक ही कारण है की गुनौर में जो प्राचीन जल स्त्रोत है वह स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि और यहां की पाब्लिक कि उनमुख्ता के कारण विकास से रहित होकर निरंतर सूखते गए और खत्म होते गए और फिर शुरू हुआ एक एक बूंद का हिसाब!
ध्यान आकृष्ट करा दूं कि गुनौर का सबसे बड़ा जल स्त्रोत प्राचीनतम गुनु सागर तालाब है और हमेशा से गुनौर के रहवासियों को उपयोग हेतु पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराता रहा और गुनु सागर के कारण लोगों के बोरवेल्स मैं भी वाटर लेवल बना रहा लेकिन आज वही गुनु सागर जो गुनौर की जनता की प्यास बुझाता था आज वह खुद प्यासा बना हुआ है, विकास की राह में बैठा गुनु सागर को देख कर ऐसा लगता है कि जैसे समय पर दवाई ना करने पर गुनु सागर भयंकर बीमारी से ग्रसित और बूढ़ा हो चला है और हम अपने अंतिम कगार पर बैठा हुआ है! यह वही गुनु सागर है जो बरसों से गुनौर के रहवासियों का जीवन बना रहा और आज उसी का जीवन और अस्तित्व नष्ट और खत्म होता जा रहा है, हालांकि विकास के नाम पर कई बार औपचारिकताएं हुई और करोड़ों रुपए का आना जाना हुआ पर उसे प्रशासन निगल गया या जनप्रतिनिधि या फिर गुनौर के गिने-चुने जो गुनौर के ठेकेदार बने हुए हैं ,वह निगल गए! एक समय था जब गर्मियों में भी यह तालाब लावा लव भरा रहता था पर आज इसका अस्तित्व खत्म होने का कारण यहां का स्थानीय प्रशासन यहां के जनप्रतिनिधि और यहां के खुद गुनौर के रहवासी हैं! स्थानीय प्रशासन ने इतने बड़े विशालकाय तालाब का कभी ध्यान नहीं दिया और विकास के नाम पर केवल औपचारिकता की और दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और तालाब के नाम पर अपनी जेब भरी और तीसरी यहां की खुद जनता जिसने हमेशा से गुनु सागर का शोषण किया, जिस गुनु सागर ने इस गुनौर को जीवनदान दिया उसी गुनु सागर को यहां की पब्लिक ने कचरा कबाड़ और मल मूत्र से ग्रसित कर दिया ,जो आज खुद अपने विकास की बाट जोह रहा है!
अगर इस गुनु सागर तालाब का विकास पूर्ण तरीके से जनता प्रशासन और जनप्रतिनिधि मिलकर बिना उठा ले तो “यही गुनु सागर तालाब पूरे गुनौर को पानी पिला सकता है “पर इसके लिए ठोस कदम उठाने की और पब्लिक की जागने की आवश्यकता है नहीं तो यही गुनौर अगले 10 साल बाद पानी की एक एक बूंद के लिए तरसेगा!
गुनु सागर के साथ साथ हमारे गुनौर नगर के पुराने और प्राकृतिक जल स्त्रोत अर्जुन ताल चेन तलैया साला की तलैया कंचनपुर रोड पर हनुमान जी की तलैया इत्यादि बड़े स्त्रोत है अगर इन पर उच्चतम गहराई कर चारों तरफ से अच्छी मेड तैयार करवा दी जाती है तो आगामी भविष्य में यह पानी को रोकने में बहुत बड़े सहायक होंगे और गुनौर के पानी की कमी को पूरा करने में मददगार साबित होंगे जिसके लिए उनके विकास के साथ साथ पब्लिक को इनकी सफाई और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना होगा और इसके लिए एक बड़ी मुहिम तैयार करनी होगी! आजादी के बाद से अगर प्रतिवर्ष यदि गुनु सागर का थोड़ा-थोड़ा विकास होता तो आज यह इतना बड़ा विशाल का तालाब जर्जर अवस्था में ना होता और ना ही गुनौर वासियों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता!
इस प्रकार जल को संरक्षित करने के लिए जल संरक्षण हेतु इन जल स्त्रोतों के चारों तरफ वृक्षारोपण अति आवश्यक है जो पानी को रोकने में अत्यंत सहायक साबित होंगे और वातावरण को प्रदूषित होने से बचाएंगे, आज हमारे भारत देश का वातावरण प्रदूषण से संकीर्ण हो चुका है और आने वाले भविष्य में पानी एक बहुत बड़ी समस्या जन्म लेने वाली है जिसके लिए वृक्षारोपण अति आवश्यक है, जहां भी नदियां हैं उन नदियों के दोनों तरफ उनके कटाव को रोकने के लिए वृक्ष लगाना बहुत जरूरी है! भारत और गुनौर को स्वच्छ बनाने के लिए और वातावरण को सुरक्षित रखने के लिए हम गुनौर वासियों को भी स्वच्छता में शामिल होना आवश्यक है और भारतवर्ष के विकास में सहभागिता निभाना और अपनी जिम्मेदारी पूर्ण करना आवश्यक है, इसलिए जगह जगह वृक्ष लगाओ!
बरसात के पानी को रोकने के लिए आवश्यक इंतजाम करें और जल संरक्षण नियम का पालन करें!
स्वच्छता के अंतर्गत घर के आस-पास और दुकानों के आसपास साफ सफाई रखें
नगर को स्वच्छ बनाने के लिए ढकी हुई डस्टबिन का प्रयोग करें और पॉलिथीन के उपयोग से बचें!

 

 

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