बालिका छात्रावास सलेहा (पन्ना) मे भ्रष्टाचार चरम पर,सलेहा से आर०पी०बर्मन की रिपोर्ट

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बालिका छात्रावास सलेहा मे भ्रष्टाचार चरम पर

शासकीय बालिका छात्रावास सलेहा मै हो रही भारी अनियमितताएं रसोइयों को किया जा रहा परेशान छात्रावास में सोने के लिए रसोइयों को किया जा रहा मजबूर जोकि डी पी सी विस्नू त्रिपाठी जी से बात करने के बावजूद त्रिपाठीजी का कहना है की छात्रावास में रसोइयों को सोने का कोई ऐसा नियम नहीं है मंगर सहायक वार्डन एवं अधीक्षका द्वारा जोर जबरदस्ती किया जा रहा है कहा जाता है की छात्रावास में सोना ही पड़ेगा नहीं तो निकाल दिए जाओगी ऐसी धमकी दी जा रही है और सहायक वार्डन अधीक्षक फरमारही आराम रसोइयों को रात में अपने घर से बाल बच्चों को छोड़कर छात्रावास में सोने के लिए बालिकाओं के साथ में सोना ही पड़ेगा इसलिए रसोईया मजबूर है जैसा कि जब से आदिवासी बालिका छात्रावास सलेहा मैं संचालित हुआ है तब से 5 वर्ष पूर्व 2 वर्ष के लिए ही रखी जाती थी मगर जबसे ए अध्यक्षाआई है ए पांच वर्ष से डटीं हें और उनका निर्धारित समय सीमा हुआ करती थी 2 वर्ष के बाद निकाल दिया जाता था मगर जब से सुशीला बरमा आई है तब से कमीशन की दम पर 5 साल से जड़े जमाए जमी हुई है क्योंकि डीपीसी विष्णु त्रिपाठी इन पर मेहरबान है चुकी अधीच्क्षका चौधरी द्वारा मोटी कमीशन दी जाती है इसलिए डीपीसी इन पर मेहरबानी दिखा रहे हैं और दोनों मिलकर दबंगई से बालिका छात्रावास सलेहा संचालित किए हुए है इन्हें किसी प्रकार का जिला प्रशासन से भी कोई दहशत नहीं है क्योंकि कमीशन के दम पर यह खेल चलरहा है आदिम जाति कल्याण विभाग को चाहिए की अंकुश लगा सके न्यूज़ पेपरों के माध्यम से जिला प्रशासन को एवं आदिम जाति कल्याण विभाग को कई बार न्यूज़ प्रकाशित करने के बाद भी आज दिनांक तक किसी प्रकार का अमल नहीं किया गया है जैसे सलेहा से लेकर पठारी क्षेत्र कल्दा श्याम गिरी सारंगपुर गुरुजी बेेजाई मैनहाे कई ऐसे छात्रावास संचालित हैं जिनमें घोर लापरवाही बढ़ती जा रही हैं व 50 एवं 70 सीटर छात्रावास संचालित है मगर मौके पर देखा जाए तो 10 से 20 बच्चे ही उपस्थित मिलते हैं एवं रजिस्टर का कोरम पूरे छात्रों का किया जाता है और खर्च पूरे पूरे 70 से 50 बच्चों का डाला जाता है गरीब मजदूरों के बच्चों के पेट पर डाका डाला जा रहा है खुलेआम यह दबंगई व अनियमितता लापरवाही की जा रही है आदिम जाति कल्याण विभाग चाहिए की सभी छात्रावासों की सघन रूप से जांच कर इन पर उचित कार्यवाही की जाए जिससे गरीब आदिवासी हरिजन के बच्चों को पूर्ण रूप से शिक्षा व भोजन सुचारू रूप से मिल सके गवर्नमेंट की राशि का दुरुपयोग ना होकर उपयोग हो सके जिससे शासन-प्रशासन को पब्लिक बदनाम ना कर सके शासन की करोड़ों रुपए की राशि हर वर्ष लग जाती है ठिकाने जिसका गरीब मजदूरों के बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ और अधीक्षक व जिला प्रशासन छान रही मलाई बच्चे छान रहे खाक इससे एक कहावत लागू होती है की अंधेर नगरी चौपट राजा जैसी बात है डीपीसी त्रिपाठी का कहना है की मेरे अंडर में सिर्फ वह सिर्फ आदिवासी बालिका छात्रावास सलेहा है बाकी छात्रावासों से मुझे कोई लेना देना नहीं है यह आदिम जाति कल्याण विभाग के खाते में जाते हैं इसलिए आदिम जाति कल्याण विभाग को चाहिए कि नियमानुसार हर छात्रावासों की निगरानी कर इन पर उचित कार्यवाही की जावे

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