तू छुपी है कहा में तड़फता यहाँ जैसे फिल्मी गीतों की मधुर झनकार नोशाद बेंड की सुनने को नही मिलेगी,कूक्षी का प्रख्यात बेंड 1968 में शुरू हुआ तो 2022 में बन्द हो गया,अलीराजपुर से रिजवान खान की रिपोर्ट

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रिजवान खान@आलीराजपुर/कुक्षी

अब से शादियों में अपने बेंड की सु मधुर गानों की झंकार बिखेरने वाला नोशाद बेंड को 53 वर्ष तक शादियों में लगातार बजाने के बाद उसके कर्ताधर्ताओं ने बन्द कर दिया है इस वर्ष अब तक हुई शादियों में नोशाद बेंड किसी भी शादी समारोह में बजते हुए नही दिखाई दिया।
कभी कूक्षी सहित धार जिले की शान रहा कूक्षी का म्यूजिकल बेंड अब शादी ब्याह ओर अन्य खुशियों के मौके पर अपने गीत संगीत की धुन नही बिखेरेगा कारण इस बेंड के मालिक ने अपने इस बेंड को पूरी तरह बन्द कर दिया है।वैसे तो कूक्षी सहित क्षेत्र में यहाँ नगर के तीन बेंड,नोशद,जवाहर ओर कोहिनूर बेंड,शादियों में अपनी जोरदार गानों की प्रस्तुति देते थे कि सुनने वाला व्यक्ति भाव विभोर हो जाता था।
कूक्षी के नाम को अपने बेंड से रोशन करने वाले नोशाद बेंड ने अब अपने बेंड बजाने के कार्य को इस वर्ष से पूरी तरह बन्द कर दिया है।इसके संस्थापक मास्टर सादिक हुसेन बताते है कि हमने इस बेंड की शुरुआत वर्ष 1968 से की थी ओर तब प्रतिदिन बेंड बजाने के 25 रुपये लेते थे जो आज बन्द करने तक 50 हजार रुपये तक पहुँच गया था उसके बावजूद लॉक डाउन का होना,बेंड बजाने वाले वर्कस का नही मिलना,नये म्यूजिकल गीतों का आना और सबसे बड़ा डीजे का बाजार में प्रवेश इस बिजनेस पर जमकर असर डाल रहा हे वहीँ नोशाद बेंड के मास्टर शादिक हुसैन की उम्र भी 73 वर्ष होने से अब उन्होंने इस कार्य को बंद कर दिया।

क्षेत्र में शादियों में बजने वाले बेंड में शादी वाले घर की पहली पसंद उसकी शादी में नोशद बेंड ही रहता था और नोशाद बेंड को लोग एक वर्ष पूर्व तक बुक कर लेते थे।इस बेंड में 16 लोग बेंड की धुनों को बजाते थे तो मास्टर सादिक अपनी ई प्लेट क्लारनेट(पिपोड़ी) देशी भाषा मे से जो फिल्मी गाने बजाते थे तो हर कोई उस में खो जाता था।नोशाद बेंड के गानों में सबसे प्रसिध्य फिल्मी गीत “तू छिपी है कहा में तड़फता यहाँ, फ़िल्म सरस्वती चंद का फूल तुम्हे भेजा है खत में जैसे अनेक नगमे थे जिनको सिर्फ नोशाद बेंड के मास्टर ही बजाते थे।बेंड के मास्टर बताते है कि नई फिल्म के गानों को बजाने के लिए कई दिनों तक लगातार प्रेक्टिस करने के बाद ही उसकी धुन ओर संगीत को बजा पाते थे।इस बेंड को मास्टर सादिक हुसेन ने अपनी उम्र केके 20 वर्ष से ही शुरू कर दिया था।

परिवार की पहली पसंद शादी में नोशद बेंड ही रहता था

मध्यप्रदेश, गुजरात,राजस्थान सहित महाराष्ट्र में बजाया बेंड को
इस क्षेत्र का ख्याति प्राप्त नोशाद बेंड ने अपनी शुरुआत झाबुआ जिले के राणापुर से की ओर गुजरात के जामनगर, द्वारिका, बड़ोदा,तो राजस्थान के अजमेर, पुष्कर, नाथद्वारा सहित अनेक शहरों में जकरबेंड बजाया।सबसे महत्वपूर्ण बात इस बेंड के मास्टर सादिक हुसेन ने बताई वह यह है कि उनके इतने वर्षों में कभी भी उनके सामने जो जाती और धर्म को लेकर भेदभाव इन दिनों हो रहा वह कभी सामने नही आया बल्कि कूक्षी के सोनी बाबूलाल चौधरी के यहाँ रमजान में बेंड बजाने गये तो उन्होंने रमजान की नमाज पढ़ने भेजकर अपना बाना एक घण्टे लेट कर दिया इस तरह की इज्जत ओर कूक्षी के ही रमण लाल जेन से शुरुआती दिनों में तो खट्टाली के कृष्णा सेठ परवाल ने अधिकांश समय मे जमकर सहयोग किया।मास्टर सादिक बताते है जितने भी साल उन्होंने यह कार्य किया उसमें उन्हें इज्जत ओर सुकून भी मिला परन्तु अब मन दुखी इस बात से है कि लोग आस लेकर बेंड करने आते है परन्तु उन्हें नोशाद बेंड नही मिल पा रहा है।

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