सब कुछ ठीक रहा तो दो सप्ताह में कोरोना से मिलेगी बड़ी राहत एक्सपर्ट ने दी अहम जानकारी, लापरवाही पड़ेगी भारी

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नई दिल्‍ली – भारत में आई कोरोना महामारी की दूसरी लहर का पीक अब जा चुका है। फरवरी 2021 में आई इस लहर में अप्रैल के अंत में 4 लाख से अधिक मामले रोजाना सामने आए थे, लेकिन 9 मई के बाद से इनमें गिरावट का रुख दिखाई दे रहा है, जो इस बात का संकेत है कि हम सही तरीके से इस महामारी से लड़ रहे हैं। इस लहर का पीक आने के बाद से इस बात की भी चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर ये दूसरी लहर कब तक बनी रहेगी। इस सवाल के जवाब में सफदरजंग अस्‍पताल के कम्‍यूनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और हैड डॉक्‍टर जुगल किशोर बताया कि यदि सब कुछ ठीक रहता है तो ये लहर अधिकतम दस दिनों से लेकर दो सप्‍ताह के बीच में खत्‍म हो जाएगी।

हालांकि, प्रोफेसर जुगल किशोर का ये भी कहना है कि भारत में दूसरी लहर का जाना कई बातों पर निर्भर करता है। इनमें सबसे प्रमुख है हम कोविड नियमों का कड़ाई से पालन करें और इस वायरस को फैलने से रोकने में अपनी भूमिका स्‍पष्‍ट करें। उनके मुताबिक यदि लोगों की सड़कों पर आवाजाही जारी रही और बाजारों में भीड़-भाड़ बढ़ी तो दूसरी लहर के खत्‍म होने का समय भी उसी तेजी के साथ आगे बढ़ जाएगा। इसके अलावा उनका ये भी कहना है कि यदि हम वैक्‍सीनेशन में तेजी लाएं और अधिक से अधिक लोगों को वैक्‍सीन दे सके तो भी हम इस लहर को समय पर खत्‍म कर सकेंगे। उनके मुताबिक वैक्‍सीन मिल जाने से इस वायरस को फैलने से रोका जा सकता है।

डॉक्‍टर जुगल किशोर के मुताबिक एक्टिव मामलों में जैसे-जैसे गिरावट आएगी वैसे-वैसे ही दूसरी लहर का प्रकोप भी थमने लगेगा। उन्‍होंने बताया कि संक्रमण की चपेट में आने के दो या तीन दिन के बाद इससे संबंधित परेशानियों का दिखाई देना शुरू हो जाता है। ऐसे में आने वाले दस दिन बेहद खास होते हैं। ये न सिर्फ मरीज के लिए खास होते हैं बल्कि उसके संपर्क में आने वाले लोगों के लिए भी बेहद अहम होते हैं। इस दौरान यदि किसी को कोई परेशानी नहीं होती है तो ये अच्‍छी बात है, लेकिन यदि होती है तो उसको अपने आपको आइसोलेट कर लेना चाहिए।

एक्टिव केस का कम होना इस बात का भी सुबूत होता है कि हमारे कांटेक्‍ट कम हो रहे हैं, जो हमारी अपनी कड़ाई या नियमों के पालन की वजह से हुए हैं। उनका ये भी कहना है कि मौजूदा समय में देश के अधिकतम लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। इनमें से कुछ इससे दवाओं के माध्‍यम से और कुछ अपनी स्‍ट्रॉन्‍ग इम्‍यूनिटी की वजह से इससे उबर गए हैं। अपनी इम्‍यूनिटी के बल पर उबरने वालों के संपर्क में जो लोग आए होंगे उनमें से कुछ ही ऐसे होंगे जिन्‍हें अस्‍पताल जाने की जरूरत महसूस होगी।

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