सिंगरौली – सोमवार को एनसीएल गोरबी की ब्लॉक (बी) खदान में एक हादसा हुआ, जहां खदान के भीतर चल रहे दो डंपर आपस में टकरा गए। खदान के भीतर 100 टन के कोयला लोड डंफरों (होल पैक) की आमने-सामने भिड़ंत में कमस्तु कंपनी का डंफर क्रमांक 10 635 के चालक विनोद सतनामी को घटना के कुछ ही देर बाद ब्लॉक बी कि एंबुलेंस द्वारा नेहरू चिकित्सालय पहुंचाया गया, वहीं बीईएमएल कंपनी का डंफर क्रमांक 1089 का चालक राजा राम बघेल डंपर में ही फंसा रह गया, जिसे निकालने के लिए प्रबंधन द्वारा युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया।
घटना की सूचना मिलते ही गोरबी जीएम, एजीएम माइंस मौके पर पहुंच गए थे। उनकी देख रेख में सीआईएसफ व बचाव दल रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटा रहा। डंफर से चालक राजा राम को निकालने के लिए मशीनों के द्वारा डंफर को कटिंग करने का प्रयास किया गया। जिस प्रयास के कारण शाम करीब 4.30 बजे डंपर में फंसे चालक का शव निकाला जाता सका।
प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा बताया गया कि दुर्घटना 500 प्रति ट्रिप चक्कर के कारण घटित हुई है। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि घटना के 1 घंटे तक मृतक राजाराम बघेल जिंदा था, जिसे फंसे हुए डंफर से निकलने में हुई देरी के कारण उसकी जान चली गई। इस घटना के बाद सुरक्षा का दम भरने वाले एनसीएल प्रबंधन की पोल खुलती नजर आई। खदान में कार्य कर रहे श्रमिकों का कहना है कि समय से पहले एवं टारगेट से ज्यादा कोयला उत्खनन एवं प्रेषण में लगी एनसीएल प्रबंधन द्वारा सुरक्षा नियमों को ताक पर रखा जाता है जिस कारण इस प्रकार की दुर्घटना होती है।
मृतक राजाराम बघेल का परिवार भी वहां पहुंच गया था, इस दौरान ब्लॉक बी जीएम हरीश दोहन, एजीएम माइंस के पी दत्ता, जिला पंचायत सदस्य राजेश उर्फ राजू सिंह, बीएमएस महामंत्री हीरामणि यादव, एटक सचिव मोहम्मद जिन्ना, शैलेंद्र पाठक, गोरबी चौकी प्रभारी सुधाकर सिंह परिहार व एनसीएल हेड मुख्यालय से संबंधित अधिकारी व सैकड़ों की संख्या में ब्लॉक बी के सहयोगी श्रमिक व मृतक के परिजन मौजूद रहे।