पूनम की महारास में श्री बंगला जी दरबार साहब से रासमण्डल में विराजे अखण्ड रास के रचईया, पंचमी तक चलेगीं जागिनी रास की लीलायें
अमृतपान कर, नैनों को तृप्त कर मंत्रमुग्ध हुए सुन्दरसाथ
देश-विदेश से पन्ना धाम पहुंचे हजारों तीर्थयात्री
विद्वानों व धर्मगुरूओं ने बताया श्री रास का गहन अध्यात्मिक महत्व
-ब्रम्ह चबूतरे पर श्री बंगला जी मंदिर से रासमण्डल के लिये जाती श्रीजी की सवारी। 3-पन्ना-ब्रम्ह चबूतरे में रामत गाते सुंदरसाथ व उपस्थित श्रृद्धालुगण। 4-पन्ना-मुख्य मंदिर में फूल-माला व भोग चढाने के लिये लालयित श्रृद्धालु। 5-पन्ना-अमृत रूपी खीर का प्रसाद लेने के लिये लालयित श्रृद्धालुगण।, 6-पन्ना-पूनम की रात्रि में दूधिया लाईट से जगमगाता श्री प्राणनाथ जी मंदिर।
“अंतराष्ट्रीय शरदपूर्णिमा महोत्सव में पूनम की महारास का दिन विशेष था। अखण्ड मुक्तिदाता निष्कलंक बुद्ध अवतार श्री प्राणनाथ जी 5 दिनों तक चलने वाले इस महारास में सुन्दरसाथ के साथ साक्षात उन्हें रासमण्डल में परमधाम के वास्तविक सुख व अध्यात्मिक द्रष्टिकोण से रत करते हुए उनका जीवन धन्य करेंगे। शरदपूर्णिमा के अवसर पर पचास हजार से अधिक सुन्दरसाथ व नगरवासियों ने श्री जी को निहारकर अपने नैनों को तृप्त किया। जैसे ही मध्य रात्रि में बंगला जी दरबार साहब से श्री जी की सवारी रासमण्डल के लिए निकली वैसे ही रास के रचइया की, श्री प्राणनाथ प्यारे के जयकारों से पन्ना पवित्र नगरी गूंज उठी।“ पन्ना। प्रणामी धर्म का सबसे पवित्र धाम श्री गुम्बट जी मंदिर जिसका प्रांगण ब्रम्ह चबूतरा (रास मण्डल) कहा जाता है। क्योंकि यहीं पर श्री प्राणनाथ जी ने अपने परम स्नेही सुंदरसाथ जी को श्री राज जी-श्यामा जी की अलौकिक अखण्ड रासलीला, जागिनी रास का दर्शन कराया था इसीलिये इसे जागिनी लीला भी कहा जाता है। उसी समय से अंतराष्टीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के नाम से प्रतिवर्ष पांच पद्मावतीपुरी धाम पन्ना संपूर्ण विश्व की मुक्तिपीठ है। यहां विराजमान साक्षात अक्षरातीत पूर्णब्रम्ह के अलौकिक रास के आनंद में सराबोर होते हैं। इस आनंद में सराबोर होने पन्ना पहुंचे पचास हजार से अधिक सुन्दरसाथ उस क्षण के प्रत्यक्ष दर्शी बने जब श्री प्राणनाथ जी की शोभायात्रा श्री बंगला जी मंदिर से निकलकर रासमण्डल में पधराई गई। रविवार पूनम की रात जैसे ही श्रीजी की भव्य सवारी बंगला जी दरबार साहब से रासमण्डल में आई तो वहां उपस्थित हजारों सुंदरसाथ अपने पिया के साथ प्रेम रंग में डूब गये। यह अखण्ड रास का आयोजन पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा उत्सव के रूप में रात-दिन चलेगा।
दिव्य सिंहासन को अपने कंधों में लेकर निकली सवारी
क्षर और अक्षर से भी परे जो मूल-मिलावा श्री राज के साथ जागिनी रास महोत्सव का शुभारंभ इसी बंगला जी मंदिर से होता है। इस महोत्सव में प्रणामी धर्म के सभी गादीपति, धर्मगुरू व संतगण उपस्थित रहकर कार्यक्रम में शामिल होते हैं। सर्वप्रथम श्री बंगला जी मंदिर में सेवा, पूजा व आरती हुई। तत्पश्चात श्री राज जी महाराज के दिव्य सिंहासन को मंदिर के पुजारियों द्वारा अपने कंधों पर लेकर श्री प्राणनाथ जी के जयघोष के साथ शोभयात्रा रात्रि ठीक 12 बजे निकली। शोभायात्रा निकलते ही उपस्थित हजारों की संख्या में प्रणामी धर्मावलम्बी सुंदरसाथ की भावनायें व उत्साह कुछ एैसा दिखा जैसे कि श्री प्राणनाथ जी स्वयं पालकी में विराजमान हों। शोभायात्रा ब्रम्ह चबूतरे पर ही स्थित रासमण्डल में पधराई गई।
पूरा ब्रम्ह चबूतरा लहराते, उभरते मानव सागर की तरह दिखा
श्री राज जी की शोभयात्रा की एक झलक पाने के लिये बेताब रहे लगभग पचास हजार से अधिक सुंदरसाथ उस क्षणिक दर्शन पाने के लिये बेताब दिखे जो कभी श्री प्राणनाथ जी ने साक्षात जागिनी लीला कर इसी ब्रम्ह चबूतरे में सुंदरसाथ को दिखाया था। शाम 06 बजे से ही पूरा ब्रम्ह चबूतरा लहराते‘-उफनाते मानव सागर की तरह दिखने लगा। देश के कोने-कोने से आये सुंदरसाथ पारम्पारिक वेश-भूषा में सुसज्जित जन अपनी-अपनी बोलियों में भजन-कीर्तन करते नजर आये। दिल खोलकर सुधबुध भूलकर एैसे नृत्य कर रहे थे मानों वे स्वयं परमात्मा श्री राज जी महाराज के साथ रास रमण कर रहे हों। एैसी अनंत अनुभूति शायद ही कहीं देखने को मिलती हो जहां देश-विदेश के लोग समरसता की भावना से एकत्रित होकर एक ही भाव में प्रेम के रस में डूबे नजर आये।
श्रीजी की सवारी की एक झलक देखने उमड़ पड़े सुंदरसाथ
पांच पद्मावती पुरी पन्ना में अंतर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा का महापर्व प्रेम में समर्पण की पराकाष्टा का पर्व है। आज के दिन विशाल ब्रम्ह चबूतरे में बना महामति श्री प्राणनाथ जी के मंदिर में शाम से ही पैर रखने की जगह नहीं दिख रही थी जहां नजर डालो वहीं श्रद्धालुओं का जमावड़ा नजर आता था, इंतजार था श्री जी की सवारी की एक झलक देखने का और रासमण्डल में विराजमान हुए रास के रचइया महामति श्री प्राणनाथ जी के दर्शन का।
प्रेम से ही अपना प्रियतम मिलता है
प्रेम में सर्वस्य समर्पण का एैसा उदाहरण अन्यत्र कहीं भी नहीं मिलता। निजानंद सम्प्रदाय में प्रेम की बड़ी महिमा है। यहां प्रेम ही सबकुछ है शरदपूर्णिमा में श्री कृष्ण ने प्रेम को ही प्रतिष्ठा प्रदान की है। प्रेम से ही अपना प्रियतम मिलता है जैसे गोपियों को महारास में श्रीकृष्ण मिले यही सब पन्ना परम धाम में इस पांच दिवसीय शरदपूर्णिमा महोत्सव में जो कि पूरी भक्ति, प्रेम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है देखने को मिलता है।
मिला अमृत रूपी खीर का प्रसाद
शरद पूर्णिमा की जैसे ही सुनहरी रात्रि बीती बैसे ही सुध बुध खोए सुन्दरसाथ को जब अमृत रूपी खीर का प्रसाद सुबह मिला तो जैसे उनका उत्साह व जोश फिर से वापस लौट आया और वह खीर रूपी अमृत पान कर अपने जीवन को धन्य मानने लगे।
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उठे प्रश्नचिन्ह
अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव में दूर देश व विदेश से आए सुन्दरसाथ को किसी प्रकार का कोई कष्ट न हों इसलिए पूरा जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने पहले बैठकें आयोजित कर रणनीति बनाई थी लेकिन एैन वक्त पर जब हजारों की संख्या में दूर-देश के लोग पूरे भाव व श्रृद्धा से पन्ना आये तो उनकी सुरक्षा व्यवस्था में पूर्व के वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष पुलिस व्यवस्था में कमीं देखी गई परिणामस्वरूप दर्जनों सुंदरसाथ की जेब कटीं व समान भी चोरी गया। प्रतिवर्ष आने वाले श्रृद्धलुओं ने इस वर्ष पुलिस व्यवस्था पर असंतोष व्यक्त किया। जिन लोगों की जेबें कटीं वह लोग परेशान दिखे। रात-दिन सफाई कार्य में जुटे रहे नगरपालिका के सफाईकर्मी इस वर्ष इतनी अधिक भीड होने के उपरांत ही कहीं भी गंदगी नजर नहीं आई कारण यह था कि नगरपालिका के सफाईकर्मी रात-दिन सजग रहे जिस कारण से मंदिर परिसर और उसके चारों ओर कहीं भी गंदगी नाम की चीज नहीं दिखी। नगरपालिका अध्यक्ष मोहनलाल कुशवाहा व सीएमओ ओ.पी. दुबे की संवेदनशीलता के कारण इस वर्ष चहुंओर साफ-सफाई नजर आई। सफाईकर्मियों की इस महोत्सव में सफाई के प्रति लगनशीलता को देखते हुए स्थानीय लोगों सहित दूर-देश से आये हुये लोगों ने भी तहेदिल से आभार व्यक्त किया।
श्री जुगल किशोर जी मंदिर में भी रही शरद पूर्णिमा की धूम
पन्ना। बुंदेलखण्ड के प्रसिद्ध श्री जुगल किशोर जी मंदिर पन्ना में रविवार शरद पूर्णिमा के दिन श्रृद्धालुओं की खासी भीड उमडी रही। सुबह से ही नगर सहित आसपास के ग्रामों से हजारों की संख्या में श्रृद्धालुओं का पहुंचना शुरू हुआ जो रात 10 बजे तक जारी रहा। मंदिर समिति के सदस्य जगदीश नामदेव ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन महिलायें उपवास रखतीं हैं। जिसके अंतर्गत भोग के रूप में 750 ग्राम खोवा के पेढे बनाये जाते हैं जिसको 06 भागों में बांटकर करके महिलायें श्री किशोर जी मंदिर में राधिका रानी को सखी भाव से एक भाग अर्पित करतीं हैं। बताया जाता है ही दोपहर से ही शुरू होता है। राधा रानी को एक भाग अर्पित करने के बाद एक भाग प्रसाद के रूप में स्वयं ग्रहण कर उपवास पूरा करतीं हैं। इसके अलावा शेष बचे भाग में से एक भाग गाय, एक पति, एक गर्भवती महिला, एक तुलसी को अर्पित कर शरद पूर्णिमा का व्रत पूरा किया जाता है।