रोशन लाल जी सक्सेना 21वीं सदी के मदन मोहन मालवीय थे।- सरयू प्रसाद वैद्य, संवाद न्यूज ब्यूरो सम्पति दास गुप्ता की स्पेशल रिपोर्ट

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हनुमना- महान कर्मयोगी मध्य प्रदेश -छत्तीसगढ़ ही नहीं राष्ट्र के अनेक प्रांतों में भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत शिक्षा का अलख जगाने वाले क्रांतिदूत, उदारचेता, अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बाल स्वयंसेवक रहे रोशन लालजी सक्सेना 21वीं सदी के मदन मोहन मालवीय थे । उपरोक्त बातें विंध्य में जनसंघ के संस्थापक तथा लोकतंत्र सेनानी एवं श्री सक्सेना के करीबी रहे सरस्वती शिशु मंदिर हनुमना के संस्थापक सदस्य सरयू प्रसाद वैद्य ने स्थानीय सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के सभागार में श्रीसक्सेना के जन्म दिवस के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम के मुख्यवक्ता की आसंदी से बोलते हुए कही श्री वैद्य ने उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 5 अक्टूबर 1931 को मध्यप्रदेश के सीधी में जन्मे श्री सक्सेना ने स्नातक तक की शिक्षा सीधी में ही जहां प्राप्त की वहीं गणित विषय में रीवा आकर 1951 में एम एस _सी की डिग्री हासिल की विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बाल स्वयंसेवक होने के कारण रीवा नगर में भी सक्रिय स्वयंसेवक की भूमिका निभाते हुए गण शिक्षक, मुख्य शिक्षक एवं रीवा नगर कार्यवाह आदि जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन करते हुए 1962, 63 एवं 1966 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग का तीनों प्रशिक्षण पूर्ण कर 1954 से 1964 तक कृषि महाविद्यालय रीवा में प्राध्यापक के रूप में अध्यापन कार्य जहां किया वही 12 फरवरी 1964 को बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त में रीवा के बैजू धर्मशाला के एक कमरे में महज ग्यारह छात्रों के साथ मध्य प्रदेश के प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना की नींव रखी और विद्यालय संचालन समिति का गठन किया जिसमें स्वयं समिति के सचिव बने तथा 1964 में ही उन्होंने प्रोफेसर पद से इस्तीफा देकर तत्कालीन रीवा विभाग प्रचारक रहे परम पूज्य कूप सी सुदर्शन जी के स्थान पर विभाग प्रचारक बने। प्रचारक रहते हुए भी उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर योजना को समूचे प्रदेश में वट वृक्ष के रूप में फैलाने के गुरुतर कार्य में लगे रहे और धीरे-धीरे समूचे बिंध्य में 12 सरस्वती शिशु मंदिर स्थापित कर डाले और उसी दौरान प्रांतीय कार्यकारिणी का गठन हुआ जिसमें श्री सक्सेना जी को 1974 में प्रांतीय सचिव बनाया गया इस दौरान आपने मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली आदि प्रांतों में भी अनेक सरस्वती शिशु मंदिरों की नींव रखी। उन्होंने आपातकाल के दौरान भी लगातार विद्यालयों का प्रवास जारी रखा उसी दौरान 30 जुलाई 1975 को दमोह में तत्कालीन सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर मीसाएक्ट में जेल में डाल दिया और 20 जनवरी 1977 तक लगभग डेढ़ साल जेल में रहकर भी शतत राष्ट्रवाद की अलख जगाते रहे ।मुख्य वक्ता श्रीवैद्य ने उन्हें कर्मयोगी बताते हुए कहा कि आपके द्वारा प्रारंभ किए गए रचनात्मक कार्यों का विकास पथ कभी रुका नहीं और वे भोपाल के केरवा बांध के पास सरस्वती शिशु मंदिर के लिए एक बहुत बड़े भूभाग को खरीदने के लिए जन सहयोग के माध्यम से 1 महीने के अंदर राशि का कलेक्शन कर सरस्वती शिशु मंदिर आवासीय योजना का भी शुभारंभ किया इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा उसके बाद कैलाश जोशी एवं बाबूलाल गौर जी आदि भी श्रीसक्सेना से सदैव मार्गदर्शन देते रहे। भाऊ साहब भुस्कुटे एवं बालासाहेब देवरस के कुशल मार्गदर्शन तथा लज्जाराम जी तोमर जैसे सहयोगियों के चलते सरस्वती शिशु मंदिर का जो अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान हुआ उसमें श्रीरोशन लाल जी सक्सेना की सचिव के रूप में अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता अतः ऐसे सरस्वती शिशु मंदिर के कल्पतरु को यदि 21वीं सदी का मदन मोहन मालवीय कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी। यहां उल्लेख करना आवश्यक है कि 2011 में इंदौर में 11, 12 एवं 13 नवंबर को आयोजित कार्यक्रम में उनके योगदान के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक द्वारा सम्मानित किया गया था ऐसी तपोमूर्ति जो कार्यकर्ताओं के लिए अत्यंत सरल सहज एवं विनम्र होते हुए साधारण से साधारण कार्यकर्ता के सम्मान का ध्यान रखना उनका सहज स्वभाव था जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण सक्सेना जी द्वारा आदिवासी क्षेत्र पिपराही में स्थापित सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य ओम प्रकाश जायसवाल के विशेषरोग ग्रसित होने पर मुख्यमंत्री सहायता कोष मिलने में देर होने पर स्वयं बल्लभ भवन पहुंच गए जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने पैर छूकर कहा “बाबूजी आप ने क्यों कष्ट किया मुझे ही बुला लिया होता” तब उन्होंने कहा था “अरे उअ मरि जई तब अपना केर सहायता राशि मिली ” और तीसरे दिन हनुमना तहसीलदार ओम प्रकाश जयसवाल का पता करते हुए उनके घर जाकर सहायता राशि का चेक प्रदान किया इस प्रकारका जीवन था रोशन लाल जी सक्सेना। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हनुमाना के बीएमओ डॉ पुष्पेंद्र मिश्रा ने कहा कि “विद्या ददाति विनियम विनयातयात पात्रता।,पात्रत्वातधनंआप्नोति,धनात् धरम: तत:सुखम्। अर्थात विद्यादान से बड़ा काम कुछ नहीं है श्री सक्सेना जीने शिक्षा दान का जो वटवृक्ष सरस्वती शिशु मंदिर के रूप में खड़ा किया वह समूचे राष्ट्र को आलोकित करता रहेगा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्राचार्य रमेश प्रताप सिंह श्री सक्सेना के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आजादी के बाद से ही इस राष्ट्र के मनीषियों ने गुलामी युक्त लॉर्ड मैकाले की शिक्षा से दिलाने के लिए भारती संस्कृत आधारित शिक्षा की कल्पना की थी सरस्वती शिशु मंदिरों के रूप में राष्ट्र का प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर गोरखपुर स्थापित किया गया था कार्यक्रम उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार संपति दासगुप्ता ने श्री सक्सेना द्वारा उन्हें प्राप्त पुत्रवत स्नेह का उल्लेख करते हुए कहा कि मेरे तो सक्सेना जी किसी गार्जियन से कम नहीं थे जबलपुर में विश्व संवाद केंद्र में रहते हुए तथा रीवा हनुमना एवं भोपाल में प्रवास के दौरान उनका जो स्नेह मिला फिर चाहे वह श्री गुरुजी पर बनी फिल्म के लांचिंग के समय मुख्यमंत्री जी के पर्सनल सचिव बनवारी लाल सक्सेना जी के साथ मुख्यमंत्री निवास भेजना हो या भाई नारायण दास के पैर कटने पर मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए सहयोग की बात रही हो या फिर पिपराही विद्यालय की स्थापना के समय जबलपुर विश्व संवाद केंद्र में रहते हुए भी यह कह कर के बुलाना किआपके बिना पिपराही विद्यालय की स्थापना पूर्ण नहीं मानी जाएगी। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में विद्यालय के व्यवस्थापक शंकर लाल गुप्त की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही ।कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए वरिष्ठ आचार्य पंचरथी पाठक ने श्री सक्सेना के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए महामानव बताया कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं श्री सक्सेना के चित्र पर माल्यार्पण दीप प्रज्ज्वलन एवं तिलक लगाकर सरस्वती वंदना के साथ किया गया है इस अवसर पर विद्यालय परिवार के वरिष्ठ आचार्य क्रमश उमेश चंद्र द्विवेदी चंद्रमणि प्रसाद पयासी अम्ब्रीश द्विवेदी छत्रमणि पाठक राम नारायण त्रिपाठी पवन मिश्रा द्वारिका प्रसाद मिश्रा रामबाबू गुप्ता निर्मला उपाध्याय रमाकांत मिश्रा बृजेंद्र मिश्रा जनार्दन द्विवेदी अशोक पाल सुरेंद्र उपाध्याय क्रांति द्विवेदी धीरेंद्र पांडे सुरेश मिश्रा आदि की उपस्थित उल्लेखनीय रही

सम्पति दास गुप्ता, ब्यूरो संवाद न्यूज हनुमना

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