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“बघेली भाषा अथवा अन्य आंचलिक भाषा बोलने में आखिर शर्म कैसी..?”

विकास भारद्वाज(न्यूज डेस्क),

हाल ही में मध्यप्रदेश के बघेलखंड अंतर्गत रीवा शहर की एक घटना ने बघेली भाषा से प्रेम रखने वाले लोगों का दिल छल्ली कर दिया।विगत दिवस शहर में एक शादी बघेली भाषा बोलने की वजह से टूट गई।गौरतलब है कि शहर के एक प्रसिद्ध होटल में सगाई का कार्यक्रम चल रहा था।इस बीच साफ्टवेयर इंजीनियर लड़की ने शादी करने से इंकार कर दिया।प्राप्त जानकारी के अनुसार लड़की की शिक्षा बचपन से ही किसी महानगर में संपन्न हुई जिसकी शादी,शहर के ही एक बी०ई० पास ठेकेदार से तय थी।पारिवारिक माहौल के बीच सगाई का कार्यक्रम संपन्न होने जा रहा था इस बीच लड़के के परिवार वाले आपस में बघेली भाषा में बात कर रहे थे जो लड़की को पसंद नहीं आया।लड़की ने शादी करने से इंकार कर दिया उसने यह कहते हुए कि यहां का माहौल मेरे अनकूल नहीं है,लोग ग्रामीण हैं बघेली भाषा में बात करते हैं।अब शादी टूटने की कोई अन्य आंतरिक वजह भी है या नहीं इससे अभी पर्दा नहीं उठ पाया है परन्तु इस घटना से दोनों परिवार में दुख का माहौल था।
शहर में बघेली भाषा से प्रेम रखने वाले लोगों ने इस घटना को निंदनीय बताया है।युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि साफ्टवेयर इंजीनियर बघेली ही नहीं वो किसी भी आंचलिक भाषा के मर्म को नहीं समझ सकती।वहीं बघेली हास्य कलाकार एवं कवि कामता माखन ने कहा कि बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ अच्छा है पर इतना भी नहीं की वह अपनी संस्कृति एवम् भाषा का अपमान कर मां- बाप का सर नीचा कर दे।
बदलते वक्त के साथ लोगों में भाषा को लेकर भी भ्रांतियां उत्पन्न हो रही हैं,इस प्रकार से जिस भाषा को बचपन में बोलना सीखा उसी भाषा को इतनी घटिया नजरिया से देखना कतिपय उचित नहीं।जिस प्रकार ग्राम का पलायन शहर की ओर हो रहा है उसके साथ साथ पश्चात सभ्यता भी हावी हो रही है।पहनावे,खानपान,संस्कार,रीति रिवाजों में हो रहे परिवर्तन भविष्य में कितना लाभदायक होगा यह देखने लायक होगा।
बघेली अथवा कोई भी आंचलिक भाषा को बोलने में शर्म करने वाले लोग वास्तविक रूप से अर्धविकसित एवं निम्न स्तर की मानसिकता वाले ही होंगे।

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