कार्यकर्ताओं और जनता ने पन्ना विधायक को वन मंत्री बनाने की मुख्यमंत्री से की अपील,पन्ना विधायक ही श्रेष्ठ विकल्प- दीपक शर्मा

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पन्ना – कोविड-19 कोरोना के संक्रमण के चलते आज पन्ना के हजारों लोग ,जो शासन और प्रशासन, विशेषकर राजस्व और वन विभाग की उदासीनता और कुप्रबंधन के चलते पन्ना की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली पत्थर और हीरा खदानें बंद होने के कारण देश के महानगरों में पलायन को मजबूर हुए थे ,आज सभी लोग पन्ना वापस आ चुके हैं। अब पन्ना के शासन और प्रशासन को अपनी गलती सुधारने का एक मौका फिर मिला है। ऐसी व्यवस्था की जा सकती हैं कि जो लोग वापस आ चुके हैं उनको दोबारा पलायन के लिए मजबूर ना होना पड़े। देश के प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की भी यही मंशा है कि लोगों को लोकल स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए वन विभाग जिसने राजस्व की भूमि पर जबरदस्ती अतिक्रमण कर रखा है की भूमि को यदि 1 किलोमीटर कम कर दिया जाए तो पन्ना की लगभग सभी पत्थर और हीरा खदाने फिर से संचालित हो सकती है जिससे एक बार फिर पन्ना अपने बलबूते पर अग्रसर होकर अपना विकास कर सकता है। इसके अतिरिक्त पन्ना के राजनेताओं, शासन और प्रशासन को इस बात पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए कि जानवरों और वनों की सुरक्षा के लिए पन्ना के युवाओं ,व्यापारियों और मजदूरों के भविष्य को बर्बाद करना कहां तक उचित है।
प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार शीघ्र प्रस्तावित है। पन्ना, जहां की जनता जनार्दन ने हमेशा भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड जनादेश से विजय दिलाई है , का मांगने का अधिकार भी है । अतः पन्ना के भारतीय जनता पार्टी के दीपक शर्मा, सचिन खरे , अंकित रैकवार, गिरीश शर्मा ,अजय सिंह परिहार,सहित समस्त कार्यकर्ताओं और जनता की ओर से माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सांसद और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा जी से करबद्ध आग्रह है कि पन्ना के विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह जो कि पूर्व में भाजपा सरकार में पर्यटन मंत्री रहे हैं , ने अपने कार्यकाल में पन्ना मे उल्लेखनीय कार्य किए एवं इसके अतिरिक्त उन्होनें पन्ना के विकास के सम्बन्ध में विस्तृत योजना भी बनाई थी जो कम समय अवधि के चलते अधूरी रह गई ऐसे में अगर पन्ना के युवा एवं अनुभवी विधायक को यदि वन मंत्रालय सौंपा जाता है तो निश्चित रूप से प्रदेश के वन संपदा के साथ-साथ पन्ना की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले वनों और उनसे जुड़े उद्योगों का विकास होगा और पन्ना शीघ्र ही आत्मनिर्भर बन सकेगा।

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