समस्त बारातघर, होटल एवं रेस्टोरेंट के व्यवसायी ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड द्वारा दी गयी गाइडलाइन का अनिवार्य रूप से पालन करें – कलेक्टर,संवाद न्यूज एमडी कमलेश कुशवाहा की रिपोर्ट

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समस्त संस्थान दूषित जल उपचार संयंत्र लगाने हेतु अपनी सहमति दें

रीवा – कलेक्टर इलैयाराजा टी ने ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड द्वारा पर्यावरण प्रदूषण एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की बैठक की अध्यक्षता करते हुए निर्देश दिये कि समस्त बारातघर, होटल एवं रेस्टोरेंट के व्यवसायी अपने व्यापारिक संस्थानों में ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड द्वारा दी गयी गाइडलाइन का अनिवार्य रूप से पालन करें। उनके व्यवसायिक संस्थानों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था हो, समुचित रूप से ध्वनि प्रदूषण का प्रबंधन किया जाय। पार्किंग के लिए पर्याप्त स्थान सुलभ हो। कलेक्टर ने कहा कि प्रत्येक व्यवसायिक संस्थानों में अनिवार्य रूप से दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना की जाये इसके लिए व्यापारी दीपावली 14 नवम्बर के पूर्व अपना सहमति पत्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दें। उन्होंने बताया कि जल उपचार संयंत्र की स्थापना के पंजीयन का शुल्क 10 हजार रूपये है। बैठक में पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह, नगर पालिक निगम आयुक्त मृणाल मीणा, अपर कलेक्टर इला तिवारी, एडीशनल एसपी शिव कुमार वर्मा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरआरएस परिहार, होटल एसोसियशन के अध्यक्ष शंकरलाल, सचिव राकेश कुमार सहित बारातघर, होटल एवं रेस्टोरेंट के व्यवसायी उपस्थित थे। कलेक्टर ने कहा कि ईट राईट चैलेंज रीवा के अन्तर्गत भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा खाद्य सुरक्षा में स्वास्थ्यप्रद एवं गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थों के विक्रय एवं निर्माण की संस्कृति विकसित करने तथा नागरिकों में गुणवत्तापूर्ण एवं स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों के उपयोग हेतु राष्ट्रीय स्तर पर ईट राईट चैलेंज प्रतियोगिता आयोजित की गयी है। इसमें रीवा जिले का भी चयन किया गया है। इसमें बेहतर टास्क का प्रदर्शन करने वाले जिलों को भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (भारत सरकार) द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा। इन्हीं टास्क में से एक टास्क जिले के अन्तर्गत खाद्य व्यापारियों द्वारा शत-प्रतिशत अनुज्ञप्ति करण एवं पंजीकरण होना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा-31, धारा-31-2 विनियम 2.1 के अन्तर्गत पूरे देश में खाद्य व्यापारी को अनुज्ञप्ति या पंजीयन लेकर खाद्य व्यवसाय अनिवार्य किया गया है। उन्होंने बताया कि ऐसे छोटे खाद्य व्यापारी (निर्माता या विक्रेता जो खाद्य पदार्थ का व्यवसाय करते हैं) एवं जिनका वार्षिक टर्नओवर 12 लाख रूपये से कम है उन्हें एमपी ऑनलाइन कियोस्क पर जाकर पंजीयन हेतु आवेदन करना होगा। उनका पंजीयन एक वर्ष से लेकर अधिकतम 5 वर्ष तक के लिए किया जा सकता है। बिना पंजीयन खाद्य व्यवसाय करने पर अधिकतम 2 लाख रूपये अर्थदण्ड का प्रावधान है। कलेक्टर ने बताया कि ऐसे खाद्य व्यवसायी जिनका वार्षिक टर्नओवर 12 लाख रूपये से अधिक है उन्हें अनिवार्य रूप से अनुज्ञप्ति लेना होगा। अनुज्ञप्ति एक वर्ष से पांच वर्ष तक की अवधि के लिए की जा सकती है। अनुज्ञप्ति का शुल्क एक वर्ष में 2 हजार रूपये से 7500 रूपये तक तथा पोर्टल चार्ज देकर अधिकतक 5 वर्ष तक की अवधि के लिए अनुज्ञप्ति प्राप्त की जा सकती है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अन्तर्गत बिना अनुज्ञप्ति खाद्य व्यवसाय करने पर 6 माह की सजा एवं 5 लाख रूपये तक जुर्माने का प्रावधान है।

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